केंद्र से बकाया 1.5 अरब रुपये नहीं मिलने से

बंगाल के स्कूलों में नहीं बन पा रहे हैं पर्याप्त स्मार्ट क्लासरूम

अब राज्य के स्कूली छात्रों को भी केंद्र की ओर से वंचित किया जा रहा है। केंद्र से 1.5 अरब रुपये नहीं मिलने के कारण बंगाल के स्कूलों में पर्याप्त स्मार्ट क्लासरूम नहीं बन पा रहे हैं। हालांकि, अन्य राज्यों के स्कूलों को बड़ी संख्या में स्मार्ट क्लास में पढ़ाई का अवसर मिल रहा है। चूंकि केंद्र पैसा नहीं दे रहा है, इसलिए डिजिटल और प्रैक्टिकल कक्षाओं के उपयोग और प्रौद्योगिकी के उपयोग के लाभ के मामले में बंगाल के छात्र भविष्य में देश के अन्य राज्यों से पिछड़ जाएंगे। बता दें कि समग्र शिक्षा मिशन परियोजना के पैसे से पूरे देश में स्मार्ट क्लासरूम बनाए जा रहे हैं।

अब राज्य के स्कूली छात्रों को भी केंद्र की ओर से वंचित किया जा रहा है। केंद्र से 1.5 अरब रुपये नहीं मिलने के कारण बंगाल के स्कूलों में पर्याप्त स्मार्ट क्लासरूम नहीं बन पा रहे हैं। हालांकि,  अन्य राज्यों के स्कूलों को बड़ी संख्या में स्मार्ट क्लास में पढ़ाई का अवसर मिल रहा है। चूंकि केंद्र पैसा नहीं दे रहा है, इसलिए डिजिटल और प्रैक्टिकल कक्षाओं के उपयोग और प्रौद्योगिकी के उपयोग के लाभ के मामले में बंगाल के छात्र भविष्य में देश के अन्य राज्यों से पिछड़ जाएंगे। बता दें कि समग्र शिक्षा मिशन परियोजना के पैसे से पूरे देश में स्मार्ट क्लासरूम बनाए जा रहे हैं।
राज्य के समग्र शिक्षा मिशन के एक अधिकारी ने बताया कि हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्र से 342 स्मार्ट क्लास बनाने की मंजूरी मिली थी, लेकिन प्रदेश में अब तक सिर्फ 100 स्मार्ट क्लास ही बन पाए हैं। वे 100 स्मार्ट क्लास केंद्र द्वारा भेजे गए पैसे से ही बन पाए हैं। बेशक, इस पैसे का 40 फीसदी हिस्सा भी राज्य सरकार का है। उन्होंने साफ कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में शेष 242  स्मार्ट क्लास के निर्माण के लिए 1500  करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए केंद्र से मंजूरी मांगी गई है। केंद्र ने अभी तक उसे मंजूरी नहीं दी है। पिछले दो साल में केंद्र से राज्य को कोई पैसा नहीं मिला है। केंद्र की ओर से राज्य को वंचित करने का मामला सिर्फ स्मार्ट क्लास के मामले में ही नहीं है।  केंद्र मिड-डे मील,  आवास योजना का पैसा,  100 दिन के काम का पैसा भी नहीं दे रहा है। राज्य सरकार गरीब परिवारों के लिए आवासीय मकान बनाने में अपना पैसा खर्च कर रही है। विकास भवन के अधिकारी मिड-डे मील और स्मार्ट क्लास का बकाया पैसा पाने के लिए कई बार केंद्र से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन केंद्र सरकार हमेशा से बंगाल के प्रति उदासीन रही है। विकास भवन के एक अधिकारी ने बताया कि पूरे शिक्षा मिशन को पीएम श्री परियोजना में शामिल किया जा रहा है। पीएम श्री परियोजना और समग्र शिक्षा मिशन परियोजना के बीच कोई संबंध नहीं है। क्योंकि, समग्र शिक्षा मिशन की शुरुआत सबसे पहले 2003  में हुई थी। समग्र शिक्षा मिशन लंबे समय से छात्रों के हित में काम कर रहा है। अधिकारियों को बार-बार दिल्ली जाने के बाद वापस लौटना पड़ा। पिछले दो साल से पैसे के अभाव में छात्रों के भविष्य का क्या होगा,  इसका जवाब शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास नहीं है। समग्र शिक्षा मिशन में शामिल स्मार्ट क्लास के निर्माण के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को पैसा देना है। पहले केंद्र ने समग्र शिक्षा मिशन के लिए 80  फीसदी पैसा आवंटित किया था। राज्य ने 20 फीसदी दिया। अब केंद्र का अनुपात घटाकर 60 फीसदी कर दिया गया है। राज्य को 40  फीसदी पैसा खर्च करना है। समग्र शिक्षा मिशन परियोजना में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य को प्रत्येक ब्लॉक में एक उच्च गुणवत्ता वाला मॉडल स्कूल बनाना है। जहां स्मार्ट क्लास, डिजिटल लैब, लाइब्रेरी समेत उच्च गुणवत्ता वाली बुनियादी सुविधाएं होंगी। हालांकि, देश के अधिकतर राज्यों में कई गुना स्मार्ट क्लास बन चुके हैं, लेकिन बंगाल के छात्रों को सिर्फ 100 स्मार्ट क्लासरूम का ही अवसर मिल पाया है।

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करीबन तेरह वर्ष पहले हमने अपनी यात्रा शुरू की थी। पाक्षिक के रूप में गंभीर समाचार ने तब से लेकर अब तक एक लंबा रास्ता तय किया। इस दौरान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई तरह के परिवर्तन घटित हो चुके हैं जिनका हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा। इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कई उतार-चढ़ाव आए हैं। सोशल व डिजिटल मीडिया के इस दौर में प्रिट में छपने वाले अखबारों व पत्रिकाओं पर संकट गहरा रहे हैं। बावजूद इसके हमारा मानना है कि प्रिंट मीडिया की अहमियत कम नहीं हुई है। और इसी विश्वास के साथ हमने अपनी निरंतरता जारी रखी है। अब हम फिर से नए कलेवर व मिजाज के साथ आपके सामने हाजिर हुए हैं।

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