भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के कारण खतरे में हैं

बंगाल के प्रवासी श्रमिक

भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के कारण खतरे में हैं

भाकपा(माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने अन्य राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न पर खुलकर बात की है। उन्होंने कहा-भाजपा देश को भाषा और धर्म के आधार पर बांट रही है।

निज संवाददाता : भाकपा(माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने अन्य राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न पर खुलकर बात की है। उन्होंने कहा-भाजपा देश को भाषा और धर्म के आधार पर बांट रही है। और इसीलिए बंगाल के प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों में खतरे में हैं। यह सब भाजपा की नफरत और विभाजन की राजनीति के कारण हो रहा है।"
मालूम हो कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी भाजपा शासित राज्यों में प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न पर खुलकर बात की है। कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, लिबरेशन के महासचिव ने मांग की कि प्रवासी श्रमिकों पर हमलों को रोकने के लिए एक विशेष कानून बनाया जाना चाहिए। बंगाल और बिहार की सरकारों को एक ऐसा केंद्र खोलना चाहिए जहां खतरे में फंसे प्रवासी श्रमिक संवाद कर सकें। इस बीच, राज्य के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी सीमा पर रोहिंग्या घुसपैठ का मुद्दा बार-बार उठा रहे हैं। इस संदर्भ में, दीपांकर भट्टाचार्य ने शुभेंदु और भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा-"सीमा की देखभाल की ज़िम्मेदारी किसकी है?  गृह मंत्री अमित शाह और उनके मंत्रालय के अधीन बीएसएफ की। अगर, तर्क के लिए, कोई अवैध रूप से आ रहा है, तो यह अमित शाह और बीएसएफ की विफलता है। और उस विफलता को छिपाने के लिए लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है।" 
भाकपा (माले) लिबरेशन ने बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर भी आवाज़ उठाई है। लिबरेशन का मानना है कि बिहार में मतदाता सूची में एसआईआर दरअसल मतदाताओं को हिरासत में रखने और उन्हें मताधिकार से वंचित करने का मामला है। विपक्ष मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) या विशेष सुधार का विरोध कर रहा है। आयोग ने विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में यह विशेष कदम सबसे पहले उठाया है। ज़्यादातर लोगों के पास वे दस्तावेज़ नहीं हैं जो आयोग मतदाताओं से मांग रहा है। दीपांकर भट्टाचार्य ने आशंका जताई है कि बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर की यही स्थिति हो सकती है। इस दिन के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कार्तिक पाल, पार्थ घोष, अभिजीत मजूमदार, बासुदेव बसु और अन्य लिबरेशन नेता उपस्थित थे।

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