शमिक के कमान संभालते ही शुरू हो गई है 'पद की दौड़'
क्या इसी महीने बंगाल बीजेपी में होगा बड़ा फेरबदल?
शमिक भट्टाचार्य ने हाल ही में बंगाल बीजेपी अध्यक्ष पद की कमान संभाली है।
खबर है कि नए अध्यक्ष इसी महीने टीम का गठन करेंगे। समिति में काफी गहमागहमी चल रही है। नतीजतन, बंगाल बीजेपी में जल्द ही फेरबदल हो सकता है। इसकी वजह गुटबाजी तो है ही, साथ ही कुशल संगठनकर्ताओं की कमी भी है। इसी वजह से बंगाल में पिछले चुनावों में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। ऐसे में राज्य में विधानसभा चुनाव अगले साल हैं। अब बंगाल बीजेपी पर एक नजर है। शमिक के अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला चुनाव है। उनका लक्ष्य आगामी चुनावों में पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर नतीजे हासिल करना है। इसलिए नए 'कप्तान' समिति बनाते समय समिति पर खास ध्यान दे रहे हैं। बीजेपी संविधान के मुताबिक, प्रदेश अध्यक्ष अपनी टीम बनाएंगे। अध्यक्ष के बाद बीजेपी में महासचिव का काफी महत्व होता है। इसलिए, महासचिव पद में बदलाव हो सकता है। विभिन्न मोर्चों के अध्यक्षों के पदों में भी बदलाव हो सकता है। बताया जा रहा है कि शमिक अपने कामकाज की सुविधा के लिए कई पुराने नेताओं को वापस ला सकते हैं। शमिक भट्टाचार्य चार दशकों से भी ज़्यादा समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार बंगाल भाजपा कमेटी में कई पुराने नेताओं की वापसी हो सकती है। क्योंकि, शमिक ने अध्यक्ष पद की शपथ लेते ही मंच से साफ़ कह दिया था कि पुराने लोग कोई बिगड़ैल नहीं होते। उनके यह कहते ही सभा स्थल तालियों से गूंज उठा। उन्होंने नेताओं और कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए यह भी कहा, "अब जिसके हाथ में झंडा है, वही भाजपा है, जो सक्रिय है, वही भाजपा है। आप मोहल्ले में प्रासंगिक हैं या नहीं, लोग आपको जानते हैं या नहीं, लोग आपको भाजपा के रूप में पहचानते हैं या नहीं, यही बड़ा सवाल है।" इसलिए, शमिक के संदेश से यह बात साफ़ है कि बंगाल भाजपा में पुराने-नए का टकराव भयावह रूप ले चुका है और नेता उस अंतर को दूर करने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं।
About The Author

करीबन तेरह वर्ष पहले हमने अपनी यात्रा शुरू की थी। पाक्षिक के रूप में गंभीर समाचार ने तब से लेकर अब तक एक लंबा रास्ता तय किया। इस दौरान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई तरह के परिवर्तन घटित हो चुके हैं जिनका हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा। इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कई उतार-चढ़ाव आए हैं। सोशल व डिजिटल मीडिया के इस दौर में प्रिट में छपने वाले अखबारों व पत्रिकाओं पर संकट गहरा रहे हैं। बावजूद इसके हमारा मानना है कि प्रिंट मीडिया की अहमियत कम नहीं हुई है। और इसी विश्वास के साथ हमने अपनी निरंतरता जारी रखी है। अब हम फिर से नए कलेवर व मिजाज के साथ आपके सामने हाजिर हुए हैं।