नवान्न ने सरकारी खर्च पर लगाई लगाम
नए दिशानिर्देशों में वित्तीय स्वीकृति की ऊपरी सीमा में कटौती
निज संवाददाता। विधानसभा चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं, नवान्न ने सरकारी खर्च पर लगाम लगा दी है। राज्य सरकार ने इस संबंध में एक दिशानिर्देश जारी किया। इसमें 2023 के दिशानिर्देशों में संशोधन किया गया है और स्पष्ट किया गया है कि किन विभागों के सचिव और प्रमुख सचिव संबंधित विभागों की परियोजनाओं के लिए अधिकतम कितनी धनराशि स्वीकृत कर सकते हैं। नवान्न द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, नगर निगम एवं नगरीय विकास जैसे विभाग अधिकतम 3 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दे सकते हैं। चाहे वह कोई नई परियोजना हो या किसी चालू परियोजना का अगला चरण, सभी मामलों में 3 करोड़ रुपये की ऊपरी सीमा लागू है। 2023 के दिशानिर्देशों के अनुसार, यह सीमा 5 करोड़ रुपये थी। यानी इन विभागों के लिए एक बार में व्यय स्वीकृति की ऊपरी सीमा में 2 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। इसी तरह, उत्तर बंगाल विकास, सुंदरबन विकास और पश्चिमी क्षेत्र विकास विभागों के कार्यों की ऊपरी सीमा 1 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। दो साल पहले के दिशानिर्देशों में यह सीमा 3 करोड़ रुपये थी। इस मामले में भी व्यय की स्वीकृति की ऊपरी सीमा घटाकर 2 करोड़ रुपये कर दी गई है। आवास, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई), सूचना और संस्कृति विभागों के मामले में यह सीमा 75 लाख रुपये निर्धारित की गई है। नवान्न ने शेष विभागों के लिए 50 लाख रुपये की ऊपरी सीमा निर्धारित की है। वित्त सचिव प्रभात कुमार मिश्रा द्वारा हस्ताक्षरित दिशानिर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सभी मामलों में संबंधित विभाग के सलाहकार की मुहर आवश्यक होगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार,कई विभाग सरकारी खजाने के बारे में सोचे बिना ही खर्च कर रहे हैं। जो काम खर्च हो रहा है उसकी ठीक से समीक्षा नहीं की जा रही है। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद यह फैसला लिया गया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार 100 दिन के काम, आवास योजना और सड़क योजना जैसी कई केंद्रीय परियोजनाओं के लिए धन रोककर लगातार दिल्ली के खिलाफ मुखर रही है। केंद्र ने भले ही धन आवंटन बंद कर दिया हो, लेकिन राज्य अपने खजाने से इन परियोजनाओं को चला रहा है। इसके साथ ही लक्ष्मी भंडार, कन्याश्री, स्वास्थ्य साथी जैसी कई सामाजिक और जनकल्याणकारी परियोजनाएं भी हैं। नतीजतन, नवान्न के खजाने पर दबाव है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कई बार सार्वजनिक रूप से स्पष्ट कर चुकी हैं कि दबाव है। इस वित्तीय स्थिति में, राज्य सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों के खर्च की ऊपरी सीमा पर लगाम लगा दी है।
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