मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार और नकदी की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
-कहा-ऐसी योजनाओं से लोग काम से चुराते हैं जी
चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार और नकदी की घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार से इस तरह के मुफ्त में राशन और नकदी मिलने से लोग काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई व आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने सरकार व राजनीतिक दलों की मुफ्त योजनाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इस तरह से राष्ट्रीय विकास के लिए लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के बदले परजीवियों का एक वर्ग तैयार कर रहे हैं?
न्यायाधीश गवई ने यह भी कहा कि चुनाव के समय विभिन्न राजनीतिक दल कई तरह की लोक-लुभावन योजनाओं की घोषणा करते हैं। इसके तहत लाडली बहन व अन्य योजनाएं शामिल हैं। जस्टिस गवई ने कहा कि इस तरह की मुफ्त योजनाओं के कारण लोग काम से जी चुराने लगते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए कि उनको सरकार की तरफ से मुफ्त राशन मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम उनके (लोगों) प्रति आपकी (सरकार) की चिंता की सराहना करते हैं। साथ ही पूछना चाहते हैं कि क्या यह बेहतर नहीं होगा कि लोगों को समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनाकर उनको राष्ट्र विकास में योगदान करने के लिए प्रेरित किया जाए?
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों के आश्रय के अधिकार से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह अहम टिप्पणी की।