कैसे आया ट्रैक पर पानी? मेट्रो ने बनाई जांच कमेटी
मेट्रो टनल की छत से पानी फव्वारे की गति से बह रहा था।
इस घटना ने स्वाभाविक रूप से मेट्रो अधिकारियों के कान खड़े कर दिए। अधिकारी गत मंगलवार रात तक इस बारे में कुछ नहीं कह पाए कि सड़क पर जमा पानी टनल की छत में रिसाव की वजह से लाइन पर आया या कुछ और।
निज संवाददाता। मेट्रो टनल की छत से पानी फव्वारे की गति से बह रहा था। लाइन पानी में डूबी हुई थी।यह नजारा गत सोमवार सुबह सेंट्रल और चांदनी चौक स्टेशनों के बीच की है। इस घटना ने स्वाभाविक रूप से मेट्रो अधिकारियों के कान खड़े कर दिए। अधिकारी गत मंगलवार रात तक इस बारे में कुछ नहीं कह पाए कि सड़क पर जमा पानी टनल की छत में रिसाव की वजह से लाइन पर आया या कुछ और। सोमवार रात को यात्री सेवाएं बंद होने के बाद मेट्रो इंजीनियरों ने इलाके का निरीक्षण किया। वे एक-दो दिन में अपनी रिपोर्ट देंगे।
हालांकि, मेट्रो अधिकारियों का खुद कहना है कि छत से जिस धारा की गति से पानी टनल में घुसा है, उससे इस टनल की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही, अगर मानसून की शुरुआत में ही इस तरह से बारिश का पानी टनल में घुसा तो भारी बारिश होने पर क्या होगा, यह अधिकारी सोच रहे हैं। मेट्रो इंजीनियरों का कहना है कि कोलकाता में मेट्रो करीब 40 साल से चल रही है। हालांकि, शुरुआत में यह एस्प्लेनेड से भवानीपुर (अब नेताजी भवन) तक चलती थी। फिर धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता गया। यहां तक कि सुरंग का वह हिस्सा भी जिससे पानी बहकर आया है, वह बहुत पुराना नहीं है। नतीजतन, यह कहा जा सकता है कि वहां गंभीर समस्या है। इंजीनियरों का कहना है कि वे जांच कर रहे हैं कि सुरंग की छत पर ड्रेनेज पाइपलाइन है या नहीं और उसमें रिसाव तो नहीं हुआ है। गौरतलब है कि पिछले शनिवार के बाद सोमवार को भी सुरंग में पानी घुसने के कारण आंशिक मेट्रो सेवाएं रोकनी पड़ी थीं। सुरंग में पानी कैसे घुस रहा है, इसकी जांच के लिए एक विशेष टीम भी बनाई गई है। मेट्रो इस बात की भी विशेष निगरानी कर रही है कि सड़क पर जमा पानी नगर निगम की ड्रेनेज नाले के जरिए सुरंग में तो नहीं घुस रहा है। अधिकारियों के एक वर्ग का दावा है कि अगर सही तरीके से रखरखाव किया गया होता तो पानी ड्रेनेज नाले के जरिए निकल जाता। दीवारों में दरारें आसानी से देखी जा सकती थीं। और इस मामले में कर्मचारियों की कमी एक बड़ी वजह है। तो स्वाभाविक रूप से कोलकाता मेट्रो सुरंग की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।