पाकिस्तान के आदेश पर हसीना को मौत की सज़ा
फैसला एकतरफ़ा, शुभेंदु ने की आलोचना
निज संवाददाता : इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट द्वारा बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सज़ा सुनाए जाने के बाद से राजनीतिक हलकों में तीखी बहस शुरू हो गई है। कोर्ट ने हसीना को जुलाई आंदोलन को दबाने और नरसंहार समेत कई गंभीर आरोपों में मौत की सज़ा सुनाई है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठा है कि उन्हें पूरे ट्रायल के दौरान अपना बचाव करने का मौका नहीं मिला। कई जानकार इस फैसले को 'एकतरफ़ा' और 'ट्रायल की आड़ में राजनीतिक बदला' कह रहे हैं। इसी सिलसिले में, विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी सीधे तौर पर शेख हसीना के साथ खड़े हो गए।
उन्होंने सबके सामने कहा कि उन्हें अपना बचाव करने का मौका दिए बिना सुनाया गया फैसला अच्छा नहीं होगा। इसके पीछे पाकिस्तान का आदेश और असर साफ दिखता है। शुभेंदु का दावा है कि यह फैसला कोई ट्रायल नहीं, बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक साज़िश है। शेख हसीना की उनकी तारीफ़ भी साफ़ दिखी। शुभेंदु के मुताबिक, हसीना लिबरल थीं। वह बंगाली संस्कृति का सम्मान करती थीं। रवींद्रनाथ टैगोर के गाए गीत को राष्ट्रगान का दर्जा देकर उन्होंने बांग्लादेश को एक अलग पहचान दिलाई। उन्होंने ही अविभाजित बंगाल की परंपरा को ज़िंदा रखा।
शुभेंदु ने यह जानकारी भी दोहराई कि शेख हसीना अभी भारत में 'पॉलिटिकल असाइलम' में हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उनके एक्सट्रैडिशन के लिए नई दिल्ली से संपर्क करना शुरू कर दिया है। इस बारे में शुभेंदु ने कहा कि उन्होंने कानूनी तौर पर शरण ली है। भारत ने पहले भी बंगबंधु मुजीबुर रहमान और दलाई लामा जैसी हस्तियों को शरण दी है। वे मूल्य आज भी बरकरार रहने चाहिए। हालांकि, भारत सरकार ने सतर्क रुख अपनाया है। फैसला आने के कुछ घंटों बाद विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि वे शेख हसीना के आसपास के हालात पर नज़र रखे हुए हैं। इसके साथ ही, भारत का साफ संदेश है कि बांग्लादेश में लोकतंत्र, शांति और स्थिरता बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है।
