आईसीडीएस सेंटर में दी गई मिड-डे मील की खराब गुणवत्ता के ख़िलाफ़ ग्रामीणों का प्रदर्शन
बाराबनी : आसनसोल के बाराबनी विधानसभा क्षेत्र के नूनी ग्राम पंचायत के आसनमुनी इलाके में स्थित एक आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास सेवा) सेंटर में बच्चों के लिए बनाए जा रहे मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर बुधवार को जमकर हंगामा हुआ। खाने में खराब सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए, स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों ने सेंटर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे इलाके में तनाव फ़ैल गया।
घटिया दाल और 'कीड़े लगे कद्दू' के इस्तेमाल का आरोप
विरोध कर रहे ग्रामीणों के अनुसार, आईसीडीएस सेंटर में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन में घटिया किस्म की दाल और कीड़े लगे कद्दू का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस गंभीर आरोप के बाद, अभिभावक और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने मौके पर ही खाने के सैंपल इकट्ठा किए और ज़ोरदार मांग की कि इसकी उच्च स्तरीय जाँच की जाए और इसके लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। उनका दावा है कि इस तरह का घटिया भोजन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
पुलिस और पंचायत अधिकारियों ने संभाला मोर्चा
घटना की सूचना मिलते ही आसनसोल नॉर्थ पुलिस थाना तुरंत आसनमुनी इलाके में पहुँची। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बात करके स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
पुलिस के साथ ही नूनी ग्राम पंचायत के प्रधान, माधव तिवारी, भी मौके पर मौजूद थे। उन्होंने हालात को काबू में करने के लिए स्थानीय लोगों से बात की।
अधिकारियों की तत्काल प्रतिक्रिया
नूनी ग्राम पंचायत प्रधान माधव तिवारी ने आरोपों की गंभीरता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, "मुझे जानकारी मिली कि आईसीडीएस सेंटर की मसूरी दाल बहुत खराब है। मैंने खुद देखा कि उसमें से बदबू आ रही थी। मैंने तुरंत बाराबनी बीडीओ को सूचित कर दिया है। खराब क्वालिटी का खाना बच्चों को नहीं परोसा जा सकता!" उन्होंने आश्वासन दिया कि पंचायत भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आईसीडीएस सेंटर के फ़ूड सप्लाई मैनेजमेंट पर और सख्ती से निगरानी रखेगी।
मामले में बाराबनी बीडीओ शिलादित्य भट्टाचार्य ने कहा, "मुझे जानकारी मिली है, और मामले को देखने के लिए बाराबनी सीडीपीओ (बाल विकास परियोजना अधिकारी) को सूचित कर दिया गया है।"
हालांकि यह नया मामला नही है जब मिड डे मील के रूप में बच्चों को परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़ा हुआ है। अब देखना यह है कि मामले में जांच और गुणवत्तापूर्ण भोजन बच्चों को कब मिलता है।
