रूपनारायणपुर पंचायत सदस्य का डबल वोटर लिस्ट में नाम बना विवाद का बिषय
सालानपुर : सालानपुर प्रखंड के रूपनारायणपुर पंचायत सदस्य और तृणमूल कांग्रेस की नेता शुक्ला दत्ता एक गंभीर विवाद के केंद्र में आ गई हैं, जिसने उनकी नागरिक ज़िम्मेदारी और चुनाव प्रक्रिया के प्रति उनके रवैये पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। उनके नाम पर कटवा और बाराबनी—दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होने की बात सामने आई है। दोनों जगहों पर जारी एसआईआर फॉर्म ने इस बात की पुष्टि की है।
दोष किसका: व्यवस्था की खामी या लापरवाही?
एक चुने हुए जनप्रतिनिधि, जिनका हाल ही में पंचायत चुनाव में जीतना हुआ है, उनके सिविल दस्तावेज़ों में यह त्रुटि होना कई मायनों में चिंताजनक है।
जनप्रतिनिधि की ज़िम्मेदारी
आम लोगों का एक बड़ा हिस्सा यह सवाल उठा रहा है कि पंचायत सदस्य होने के बावजूद, शुक्ला दत्ता ने इतने लंबे समय तक अपने सबसे महत्वपूर्ण नागरिक दस्तावेज़, वोटर कार्ड, की स्थिति को क्यों नहीं जाँचा? लोगों के अनुसार, व्यक्तिगत व्यस्तता को इस तरह की लापरवाही के लिए बहाना नहीं बनाया जा सकता है।
विपक्ष का आरोप
विपक्ष ने इस मामले को गैर-ज़िम्मेदारी की निशानी बताया है, जो चुनाव प्रक्रिया और देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।
वही शुक्ला दत्ता ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह त्रुटि शादी के बाद हुई। उनके अनुसार, कटवा उनके पिता का घर था, जहाँ शादी से पहले उनका वोटर कार्ड था। 2021 में बाराबनी में शादी के बाद, उन्होंने नया वोटर कार्ड बनवाया और दावा किया कि उन्होंने कटवा का पुराना कार्ड कैंसिल करने के लिए बीएलओ को सूचित कर दिया था। उन्होंने कहा ससुराल पक्ष में बीमारी के कारण वह कटवा नहीं जा सकीं, जिससे उन्हें यह जाँचने का मौका नहीं मिला कि रद्दीकरण प्रक्रिया पूरी हुई या नहीं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि उन्होंने केवल बाराबनी में ही वोट दिया है और एसआईआर प्रक्रिया में भी केवल बाराबनी का फॉर्म ही जमा किया है।
वोटर लिस्ट किसी भी लोकतंत्र की पवित्रता का आधार होती है। किसी जनप्रतिनिधि के दस्तावेज़ों में डबल लिस्टिंग जैसी गंभीर त्रुटि न केवल प्रशासनिक खामी को दर्शाती है, बल्कि मतदान की अखंडता पर भी सवाल खड़े करती है।
स्थानीय प्रशासन को अब इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करना होगा। क्षेत्र की जनता अब इंतजार कर रही है कि प्रशासन इस डबल लिस्टिंग को कैसे सुलझाता है, और भविष्य में ऐसी गलतियों को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।
