शहीद दिवस के मंच से गरजे अभिषेक कहाः 

जरुरत पड़ी दो दे देंगे जान,पर हम मतदाता सूची में छेड़छाड़ रोकेंगे 

शहीद दिवस के मंच से गरजे अभिषेक कहाः 

 ज़रूरत पड़ी तो दिल्ली में भी करेंगे प्रदर्शन 

निज संवाददाता : 21 जुलाई यानी शहीद दिवस के धर्मतल्ला के मंच से तृणमूल के नंबर दो नेता अभिषेक बनर्जी ने भाजपा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस ज़रूरत पड़ी तो मतदाता सूची में छेड़छाड़ रोकेगी। उन्होंने ने 21 जुलाई के मंच से केंद्र सरकार को चेतावनी दी। इतना ही नहीं, अभिषेक ने कहा कि वह इस विरोध प्रदर्शन को दिल्ली भी ले जाएँगे।
अभिषेक बनर्जी ने कहा, 32 साल पहले आज ही के दिन, 21 जुलाई को, 13 लोगों ने फोटो पहचान पत्र की मांग करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी और देश के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल किया था। 2025 में भी, ज़रूरत पड़ी तो, मैं मतदाता सूची में छेड़छाड़ रोकने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दूँगा, दिल्ली में प्रदर्शन करूँगा। हम बंगाल में मतदाता सूची में छेड़छाड़ नहीं होने देंगे।डायमंड हार्बर से सांसद ने कहा, असम विदेशी न्यायाधिकरण का बंगाल की धरती पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। असम विदेशी न्यायाधिकरण राजबंगशी बंधुओं से कह रहा है कि तुम बांग्लादेशी हो। क्या बंगाली में बात करना अपराध है? हम जितना बंगाली में बात करते हैं, उन्हें उतना ही गुस्सा आता है। पहले वे जय श्री राम कहते थे। अब वे जय माँ दुर्गा कहते हैं। लिख लो, अब हम उन्हें जय बांग्ला कहेंगे को बाध्य होना पड़ेगा। यह बंगाल की जनता की जीत है। दुर्गा पूजा समिति पर आयकर लगा दिया गया है।
अभिषेक ने कहा, बंगाल ने भारत को पुनर्जागरण का मार्ग दिखाया है। बंगाल के उन क्रांतिकारियों का कितना अपमान है जिन्होंने न केवल बंगाल में, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप में आंदोलन की लहर उठाई! 2021 से पहले, मैंने कहा था कि खेल खेला जाएगा। अब मैं कह रहा हूँ कि कमल का फूल उखाड़ दिया जाएगा। जो थोड़े-बहुत कूड़े के लोग हैं, उन्हें उखाड़ फेंकना होगा। असम के मुख्यमंत्री कहते हैं कि अगर आप बंगाली में बोलते हैं, तो आप बांग्लादेशी हैं। उस हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है? एक निर्वाचित मुख्यमंत्री कहता है कि अगर आप बंगाली बोलते हैं, तो आप बांग्लादेशी हैं। अब हम संसद में बंगाली में बोलेंगे। हम अपनी रीढ़ नहीं बेचेंगे। वे बंगाल के लोगों को डिटेंशन कैंप में ले जाना चाहते हैं। 2026 के बाद, हम उन्हें डिटेंशन कैंप में ले जाएँगे। हम उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से हराएँगे।

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करीबन तेरह वर्ष पहले हमने अपनी यात्रा शुरू की थी। पाक्षिक के रूप में गंभीर समाचार ने तब से लेकर अब तक एक लंबा रास्ता तय किया। इस दौरान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई तरह के परिवर्तन घटित हो चुके हैं जिनका हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा। इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कई उतार-चढ़ाव आए हैं। सोशल व डिजिटल मीडिया के इस दौर में प्रिट में छपने वाले अखबारों व पत्रिकाओं पर संकट गहरा रहे हैं। बावजूद इसके हमारा मानना है कि प्रिंट मीडिया की अहमियत कम नहीं हुई है। और इसी विश्वास के साथ हमने अपनी निरंतरता जारी रखी है। अब हम फिर से नए कलेवर व मिजाज के साथ आपके सामने हाजिर हुए हैं।

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