लोकसभा में प्रियंका गांधी का सरकार पर तीखा हमला, कहा-
पहलगाम में 26 निर्दोषों को भगवान भरोसे छोड़ा
नयी दिल्ली - लोकसभा में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहलगाम हमले को लेकर सरकार पर तीखे सवाल दागे| उन्होंने पूछा कि आखिर इस बर्बर हमले की जिम्मेदारी कौन लेगा, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या उनके परिवारों के सामने कर दी गई| प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी की पत्नी के बयान का हवाला देते हुए सरकार से सवाल किया कि ये लोग सरकार के भरोसे गए थे, लेकिन सरकार ने इन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया| प्रियंका गांधी ने कहा, ‘मैं कल से सरकार के मंत्रियों के भाषण सुन रही थी रक्षा मंत्री, गृह मंत्री... लेकिन मेरे मन में एक सवाल बना हुआ है 26 देशवासियों को उनके परिवार के सामने खुलेआम मारा गया| ये हमला कैसे हुआ और क्यों हुआ? ये लोग पहलगाम में क्या कर रहे थे?’
उन्होंने कहा कि सरकार और मीडिया लंबे समय से यह प्रचार कर रहे थे कि कश्मीर में शांति लौट आई है और पर्यटक सुरक्षित हैं| इसी भरोसे पर उत्तर प्रदेश के शुभम द्विवेदी अपनी पत्नी के साथ कश्मीर घूमने पहुंचे थे| शादी को सिर्फ छह महीने हुए थे और दोनों का रिश्ता बेहद प्यारा था| प्रियंका गांधी ने लोकसभा में शुभम की पत्नी के अनुभव साझा करते हुए कहा कि 22 अप्रैल को बैसारन वैली में सैकड़ों पर्यटक मौजूद थे| वहां पहुंचने का रास्ता कठिन है| घोड़ों के सहारे जाना पड़ता है| उसी दिन चार आतंकियों ने जंगल से निकलकर हमला कर दिया| शुभम को उनकी पत्नी के सामने गोली मार दी गई| इसके बाद एक घंटे तक आतंकवादी लोगों को चुन-चुनकर मारते रहे| किसी को पत्नी के सामने, किसी को बेटे के सामने|
प्रियंका ने शुभम की पत्नी के बयान को कोट करते हुए कहा, ‘मैंने अपनी दुनिया को अपनी आंखों के सामने खत्म होते देखा| एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं था| मेरी सरकार ने हमें अनाथ छोड़ दिया|’ प्रियंका ने सवाल उठाया कि जब रोजाना 1000-1500 लोग बैसारन वैली में पहुंचते हैं, तो वहां पर्याप्त सुरक्षा क्यों नहीं थी? ‘क्या इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री की नहीं है?’ प्रियंका गांधी ने कहा कि इस हमले से महज दो हफ्ते पहले रक्षा मंत्री खुद कश्मीर गए थे और वहां सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की थी| उन्होंने बयान दिया था कि ‘आतंकवाद पर विजय प्राप्त हो गई है|’ लेकिन तीन महीने बाद खुद जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने एक इंटरव्यू में माना कि ‘पहलगाम में लापरवाही हुई थी|’
Related Posts
About The Author

करीबन तेरह वर्ष पहले हमने अपनी यात्रा शुरू की थी। पाक्षिक के रूप में गंभीर समाचार ने तब से लेकर अब तक एक लंबा रास्ता तय किया। इस दौरान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई तरह के परिवर्तन घटित हो चुके हैं जिनका हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा। इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कई उतार-चढ़ाव आए हैं। सोशल व डिजिटल मीडिया के इस दौर में प्रिट में छपने वाले अखबारों व पत्रिकाओं पर संकट गहरा रहे हैं। बावजूद इसके हमारा मानना है कि प्रिंट मीडिया की अहमियत कम नहीं हुई है। और इसी विश्वास के साथ हमने अपनी निरंतरता जारी रखी है। अब हम फिर से नए कलेवर व मिजाज के साथ आपके सामने हाजिर हुए हैं।