खुद को बचाए या सबूत जुटाए, बीएसएफ के सामने गंभीर संकट

बांग्लादेशी घुसपैठियों से निपटना हो रहा मुश्किल | बीएसएफ की दोहरी चुनौती

खुद को बचाए या सबूत जुटाए, बीएसएफ के सामने गंभीर संकट

भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किलो मीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। इस सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बेसएफ) की है, लेकिन पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद इसकी सुरक्षा की चुनौती और बढ़ गई है।

नई दिल्ली : बांग्लादेश की सत्ता में कट्टरपंथी मुसलमानों का दबदबा बढ़ा है, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से प्रभावित हैं, इस वजह से भारत की चिंता काफी बढ़ी है। बदले हालातों में बीएसएफ पर दबाव काफी बढ़ चुका है। उसे सिर्फ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों से ही नहीं निपटना पड़ रहा है, बल्कि भारत में उन्हें संरक्षण देने वाले आपराधिक तत्वों का भी सामना करना पड़ रहा है। बीएसएफ को इन दोतरफा चुनौतियों से उबारने के लिए हाल में सरकार की ओर से कुछ कदम उठाए गए हैं।
गश्ती के साथ-साथ सबूत जुटाएगी बीएसएफ
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार हाल ही में गृह मंत्रालय ने बीएसएफ को उनकी सुरक्षा चुनौती को देखते हुए कुछ उपकरणों को मंजूरी दी है। इनमें करीब 5,000 ऐसे अत्याधुनिक बॉडी कैमरे शामिल हैं, जो नाइट-विजन डिवाइस से लैस हैं। इसके अलावा बीएसएफ की चौकियों पर बायोमेट्रिक डिवाइस भी उपलब्ध करवाई जा रही है। कुल मिलाकर कहें तो सरकार बीएसएफ को तकनीकी रूप से इसलिए मजबूत कर रही है, ताकि वह न सिर्फ सीमा पर गश्त करे, बल्कि मोर्चा पर सामना की जाने वाली चुनौतियों से संबंधित पुख्ता सबूत भी जुटाती रहे।
बीएसएफ को निशाना बनाते हैं अपराधी तत्व
असल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ के जवानों के सामने दोहरी चुनौती आ चुकी है। एक तो वह अवैध घुसपैठ रोकते हैं, नकली नोटों के काले कारोबार पर लगाम लगाते हैं, ड्रग्स की तस्करी पर भी नजर रखते हैं और मवेशियों के साथ-साथ मानव तस्करी रोकने की भी जिम्मेदारी निभाते हैं। लेकिन, इस ड्यूटी के दौरान उन्हें देशी और विदेशी दोनों ओर से खतरनाक अपराधियों से भी निपटना पड़ता है, जो बांग्लादेशी घुसपैठिये से लेकर तमाम अवैध गतिविधियों को जारी रखना चाहते हैं। बीएसएफ पर पिछले साल भी कई आपराधिक हमले हो चुके हैं और इस साल के पहले 6 महीने में ही कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इस साल जून तक ही 35 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें बीएसएफ के जवानों पर हमला किया गया है, वहीं पिछले साल ऐसी 77 घटनाएं सामने आई थीं।
बॉडी कैमरे से बीएसएफ संरक्षित रख सकेगी सबूत
आपराधिक हमलों की वजह से कई बार यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि मामला आंतरिक कानून व्यवस्था का है या फिर बाहरी सुरक्षा का। कई बार जब बीएसएफ जवाबी कार्रवाई करती है, तो बांग्लादेश और उसकी सीमा सुरक्षा बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB), भारत पर ज्यादा ताकत इस्तेमाल करने का आरोप लगाना शुरू कर देते हैं। इससे बीएसएफ पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने लगता है और यहां होने वाली हर मुठभेड़ एक राजनयिक मुद्दा बन जाती है। बॉडी कैमरे इसी कहानी को बदलने के लिए दिए जा रहे हैं। ये कैमरे 12 घंटे तक की रिकॉर्डिंग भी कर सकते हैं और नाइट-विजन डिवाइस से यह रात में भी काम कर सकते हैं। इन कैमरों से सीमा पर होने वाली हर तरह की गतिविधि रिकॉर्ड होगी, चाहे अवैध घुसपैठियों को वापस भेजना हो या हथियारों से लैस तस्करों के साथ मुठभेड़।
बीएसएफ के सामने बढ़ी सीमा सुरक्षा की चुनौती
इसके अलावा अब बीएसएफ को घुसपैठियों के बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करने का भी काम सौंपा गया है, जिसे फॉर्नर्स रजिस्ट्रेशन ऑफिस  में भेजा जा सके। इससे बार-बार अपराध करने वालों का एक डेटाबेस बनाने में सहायता मिलेगी। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल है कि बीएसएफ बांग्लादेश की ओर से पैदा होने वाले खतरे से देश की सुरक्षा पर ध्यान देगी या अपराधियों और विदेशी घुसपैठियों को खिलाफ की जाने वाले सख्ती के लिए सबूत जुटाने में लगी रहेगी।

बांग्लादेश की चालबाजी को कुंद करने की कोशिश
दरअसल, बांग्लादेश यह आरोप लगाता रहा है कि भारतीय सुरक्षा बल मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। जबकि, बीएसएफ तभी सख्त कार्रवाई करने को मजबूर होती है, जब कोई और चारा न हो। ऐसे में नए उपकरण इस कहानी को बदलने की एक कोशिश मानी जा सकती है। खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से सीमा पर सख्ती बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं और सभी राज्यों से भी कहा गया है कि वह अवैध बांग्लादेशियों की पहचान करें और उन्हें वापस उनके मुल्क भेजने का इंतजाम करें। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल 15 जुलाई तक ही बीएसएफ ने 1,372 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा है और विभिन्न राज्य पुलिसों ने उसे ऐसे 3,536 अवैध घुसपैठियों को पकड़ कर सौंपा है। पिछले साल ऐसे 2,425 बांग्लादेशों को घुसपैठ करते वक्त पकड़ा गया था और 1,049 को विभिन्न जगहों से पकड़ कर वापस भेजा गया था।

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