मोक्षदा एकादशी पर व्रत करने से जीवन में आती है खुशहाली
भगवान विष्णु की होती है पूजा
निज संवाददाता : मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। मोक्षदा एकादशी के दिन विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, मोक्षदा एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु की पूजा और व्रत करने से जीवन में खुशशहाली आती है। जीवन में धन-धान्य की कमी कभी नहीं रहती।
मोक्षदा एकदाशी के नाम में ही मोक्ष की बात है, इसलिए इस दिन व्रत और पूजन करने वाले को मृत्यु के बाद भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा-पाठ के साथ-साथ शास्त्रों में इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष दिलाने के लिए भी कुछ उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही बैकुंठ धाम में जगह मिलती है।
मोक्षदा एकदाशी कब है?
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 30 नवंबर 2025 रविवार, रात 9:29 बजे शुरू होगी। एकादशी तिथि का समापन 1 दिसंबर 2025 सोमवार, शाम 7:01 बजे हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार, इसलिए मोक्षदा एकदाशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को ही रखा जाएगा।
• मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्पित की गई तुलसी दल जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। या उन्हें पीपल के पेड़ की जड़ में रख देना चाहिए। तुलसी को मोक्ष दायिनी भी माना जाता है। इस उपाय को करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
• एकादशी के दिन शाम के समय अपने घर के दक्षिण दिशा में या किसी पीपल के पेड़ के नीचे पितरों के नाम से शुद्ध घी का एक दीपक जलाना चाहिए। इस दिन पितरों को दीपदान करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
• मोक्षदा एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष को जल देना चाहिए। इससे पितृ दोष शांत होता है और उनको मुक्ति प्राप्त होती है।
• एकादशी व्रत पारण से पहले किसी गरीब या ब्राह्मण को घर बुलाकर श्रद्धापूर्वक सात्विक भोजन करना चाहिए। इसके बाद दान देना चाहिए। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।
• इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना चाहिए। इससे पुण्य फल मिलते हैं। साथ ही पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
