नहीं रहे अज़ीज़ुल हक़

एक बुद्धिमान जीवन यात्रा का अंत हो ही गया।

नहीं रहे अज़ीज़ुल हक़

आख़िरकार, एक बुद्धिमान जीवन यात्रा का अंत हो ही गया। लंबे समय से प्रख्यात निबंधकार, प्रखर वक्ता और प्रखर वामपंथी विचारक अज़ीज़ुल हक़ बढ़ती उम्र के कारण विभिन्न शारीरिक जटिलताओं से जूझ रहे थे। कुछ दिन पहले, घर पर गिरने से उनका हाथ टूट गया था, और उस घटना के बाद से उनकी शारीरिक स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती जा रही थी। उन्हें साल्ट लेक के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने दिन भर वेंटिलेशन सपोर्ट पर बिताया, और उनके शरीर में रक्त संक्रमण का पता चला जिसने गंभीर रूप ले लिया। डॉक्टरों के भरसक प्रयासों के बावजूद, एक के बाद एक जटिलताएँ सामने आती रहीं। अंततः, सभी प्रतिकूलताओं को पार करते हुए, आज दोपहर 2:28 बजे उनका निधन हो गया।

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करीबन तेरह वर्ष पहले हमने अपनी यात्रा शुरू की थी। पाक्षिक के रूप में गंभीर समाचार ने तब से लेकर अब तक एक लंबा रास्ता तय किया। इस दौरान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई तरह के परिवर्तन घटित हो चुके हैं जिनका हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा। इसी तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कई उतार-चढ़ाव आए हैं। सोशल व डिजिटल मीडिया के इस दौर में प्रिट में छपने वाले अखबारों व पत्रिकाओं पर संकट गहरा रहे हैं। बावजूद इसके हमारा मानना है कि प्रिंट मीडिया की अहमियत कम नहीं हुई है। और इसी विश्वास के साथ हमने अपनी निरंतरता जारी रखी है। अब हम फिर से नए कलेवर व मिजाज के साथ आपके सामने हाजिर हुए हैं।

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