टीएमसी सांसद ममता बाला ठाकुर ने खत्म किया अनशन
एसआईआर के खिलाफ 13 दिनों से कर रही थीं आंदोलन
निज संवाददाता : टीएमसी की राज्यसभा सांसद ममता बाला ठाकुर ने 13 दिनों की भूख हड़ताल खत्म कर दी है। बीते सोमवार को काफी बीमार हो गईं। उन्हें मतुआ समुदाय की ठाकुरबाड़ी स्थित मंच पर ही स्लाइन चढ़ाना पड़ा था। बाद में उन्हें बंगो सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। ममता बाला ठाकुर मतुआ महासंघ की नेता भी हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की ओर से चल रहे एसआईआर का विरोध भूख हड़ताल की थी। रविवार को राज्य की उद्योग मंत्री शशि पांजा और टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने उनसे अनशन खत्म करने की अपील की थी।
पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर मतुआ समुदाय के लोग आशंकित हैं। उन्हें डर है कि उनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे और उन्हें बांग्लादेश लौटने के लिए मजबूर किया जाएगा। इस स्थिति ने मतुआ समुदाय के गढ़ में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी हैं।
दरअसल मतुआ समुदाय के लोग 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न और सांप्रदायिक तनाव के कारण भारत आए थे। बीजेपी के केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर भी मतुआ समुदाय से हैं। बीजेपी इस समुदाय का आशंकाओं को दूर करने के लिए लगातार कैंप लगा रही है। शांतनु ठाकुर ने भी समुदाय को आश्वस्त करने की बार-बार कोशिश की है, लेकिन लोगों का डर कम नहीं हुआ है।
दूसरी ओर, टीएमसी ने एसआईआर को मतुआ समुदाय के खिलाफ साजिश बताया है। मतुआ संघ की नेता ममता बाला ठाकुर टीएमसी में हैं। उन्होंने एसआईआर के खिलाफ समुदाय की ठाकुरबाड़ी में अनशन भी किया। ममता बाला ठाकुर का बीमार पड़ने से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह पूरा मामला पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। मतुआ समुदाय का वोट बैंक काफी बड़ा है और दोनों प्रमुख पार्टियां इसे खोना नहीं चाहतीं।
