सावन मास का एक और महत्पूर्ण त्यौहार तीज

हरियाली तीज का विशेष महत्व है।

सावन मास का एक और महत्पूर्ण त्यौहार तीज

हरियाली तीज सुहागिन महिलाओं के लिए आस्था और श्रद्धा का सबसे खास दिन होता है।

 इस दिन वे माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करके सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं और शिव-पार्वती की कथा सुनती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से पति की उम्र लंबी होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस मौके पर हरे कपड़े पहनना, मेंहदी लगाना और सोलह श्रृंगार करना शुभ माना जाता है। हालांकि कई बार महिलाएं भावनाओं में बहकर या जल्दबाजी में ऐसी छोटी गलतियां कर बैठती हैं, जो उनके व्रत के पुण्य को प्रभावित कर सकती हैं।


श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली हरियाली तीज का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनके पति की आयु लंबी होती है।

यह व्रत सुहागिन स्त्रिया इस दिन उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती से मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने की कामना करती हैं।साल 2025 में हरियाली तीज का पर्व रविवार, 27 जुलाई को मनाया जाएगा।

घर पर हरियाली तीज की पूजा कैसे करें?
यदि आप घर पर ही हरियाली तीज की पूजा करना चाहती हैं, तो इसके लिए आप कुछ विशेष नियमों का पालन करके पूजा कर सकती हैं और व्रत का फल प्राप्त कर सकती हैं। आइए जानते हैं घर पर हरियाली तीज व्रत की विधि।
तीज के दिन प्रातःकाल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान पर दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें। 

 तीज का त्यौहार मुख्यतः उत्तर भारतीय महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। तीज मुख्यतः राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में मनाई जाती है। सावन (श्रावण) और भादव (भाद्रपद) के मास में आने वाली तीन प्रमुख तीज निम्न हैं:

हरियाली तीज
कजरी तीज
हरतालिका तीज
उपरोक्त तिजों के अतिरिक्त अन्य प्रमुख तीज निम्न है- आखा तीज, जिसे अक्षय तृतीया भी कहते है और गणगौर तृतीया (गणगौर) है। हरियाली तीज, कजरी तीज व हरतालिका तीज श्रावण व भाद्रपद महीनों में आने के कारण अपना एक विशिष्ट महत्त्व रखती हैं। वर्षा ऋतु में आने के कारण तीज के इन त्यौहारों का महत्त्व महिलाओं के लिए और भी अधिक बढ़ जाता है।

हरियाली तीज आमतौर पर नाग पंचमी के दो दिन पूर्व यानि श्रावण माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को आती है। यह तीज भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित है। हरियाली तीज श्रावण माह में आती है, जो भगवान शिव व माता पार्वती की आराधना व उन्हें समर्पित उपवास करने के लिए अत्यंत पवित्र महीना माना गया है।

हरियाली तीज का त्यौहार भगवान शिव व माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतिक है। इस दिन महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं व सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। महिलाएं नए वस्त्र, विशेषतः हरी साड़ी में सजधज कर अपने मायके जाती हैं व तीज के गीत गाते हुए हर्षोल्लास के साथ झूलने का आनन्द लेती हैं व यह त्यौहार मनाती है।

सिंधारा उपहार स्वरुप भेंट की गई वे वस्तुएं हैं जो विवाहित कन्या को उसके माता-पिता के द्वारा उसके व उसके ससुराल पक्ष के लिए भेजा जाता है। सिंधारा में विशेषतः मिठाई, घेवर, मेहँदी, चूड़ियां आदि वस्तुएं भेंट दी जाती है। क्यूंकि हरियाली तीज के दिन सिंधारा भेंट करने की प्रथा है, इसलिए इस तीज को सिंधारा तीज भी कहा जाता है।

हरियाली तीज के अन्य नाम छोटी तीज व श्रावण तीज भी हैं। कजरी तीज, जो हरियाली तीज के पंद्रह दिन बाद आती है, उसे बड़ी तीज कहा जाता है।

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