प्रसून जोशी ने मां को याद कर लिखा था ये गाना, जो बन गया ब्लॉकबस्टर
प्रसून जोशी बॉलीवुड के उन संगीतकारों में से एक हैं जिन्होंने अपने हिट गानों के जरिए लोगों के दिल छुआ है. जन्मदिन के मौके पर जानें ये दिलचस्प किस्सा.
हिंदी सिनेमा में कुछ गीत ऐसे होते हैं, जिन्हें केवल सुना नहीं जाता बल्कि महसूस किया जाता है। ये दिल की गहराइयों तक उतर जाते हैं। प्रसून जोशी ऐसे ही गीतकार हैं, जिनकी संवेदनशील और भावपूर्ण लिखावट ने अनगिनत दिलों को छुआ है। उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ा एक खास किस्सा।
शब्दों से रचा इतिहास
16 सितंबर 1971 को जन्मे प्रसून जोशी भारतीय विज्ञापन जगत, गीत-लेखन, कविता और पटकथा की दुनिया का बड़ा नाम हैं। वे न केवल एक प्रसिद्ध कवि, लेखक और गीतकार हैं, बल्कि विज्ञापन उद्योग में भी अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। 'तारे जमीन पर,' 'रंग दे बसंती,' 'गजनी' और 'भाग मिल्खा भाग' जैसी फिल्मों के उनके लिखे गीत श्रोताओं के दिलों में गहराई से बसे हुए हैं। संवेदनशीलता और प्रभावशाली लेखन शैली के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। वर्ष 2015 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया और फिलहाल वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) के चेयरमैन हैं।
बचपन की यादों से निकला गीत
एक इंटरव्यू में प्रसून जोशी ने बताया था कि जब अभिनेता आमिर खान ने उनसे 'तारे जमीन पर' के लिए एक गाना लिखने को कहा, तो उन्होंने खुद को एक ऐसे बच्चे के स्थान पर रखकर देखा जो अपनी मां से दूर है। लिखते समय वे अपने बचपन की यादों में लौट गए।
उन्हें याद आया कि बचपन में जब भी किसी डर से घिरते थे, उनकी नज़रें बेखुदी में मां को खोजने लगती थीं। उन्हें विश्वास था कि मां ही उनका हर डर दूर कर सकती हैं। यही भावनाएं उनके गीत में ढल गईं। इस गाने को लिखते समय वे अपने जज़्बातों को रोक नहीं पाए। यह उनके लिए सिर्फ एक गीत नहीं था, बल्कि अपनी मां के प्रति गहरी भावनाओं और कृतज्ञता को व्यक्त करने का माध्यम था।
हर दिल को छूने वाला गीत
जब यह गीत दुनिया के सामने आया, तो लाखों-करोड़ों श्रोताओं ने इसे अपने दिल की आवाज़ माना। आज भी लोग सोशल मीडिया पर यह गाना अपनी मां को समर्पित करते हुए साझा करते हैं। फिल्म 'तारे जमीन पर' का यह गीत सिर्फ संगीत का हिस्सा नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए भावनाओं का प्रतीक बन गया जो अपनी मां से दूर है या जिन्हें अपनी मां अपनी ताकत और सहारा लगती हैं।
प्रसून जोशी के लिखे कई गीत दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं, लेकिन 'तारे जमीन पर' का 'मां' गीत उनके जीवन का ऐसा अध्याय है जिसे लिखते वक्त उनकी आंखें भी नम हो गई थीं। उनके लिए यह गीत अपनी मां को समर्पित एक सच्चा ट्रिब्यूट था।