बिहार में हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं का ब्यौरा नौ अक्टूबर तक पेश करे चुनाव आयोग: सुप्रीम कोर्ट

बिहार में हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं का ब्यौरा नौ अक्टूबर तक पेश करे चुनाव आयोग: सुप्रीम कोर्ट

निज संवाददाता : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को चुनाव आयोग से कहा कि बिहार में इस साल जून में शुरू की गई विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के बाद तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची से हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं का ब्यौरा उसके समक्ष पेश करे। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये ब्यौरा देने को कहा। इस पर चुनाव आयोग के यह कहने के बाद कि सूची में जोड़े गए ज़्यादातर नाम नए मतदाताओं के हैं। इसके अलावा, सूची से हटाए गए किसी भी मतदाता द्वारा अब तक कोई शिकायत या अपील दायर नहीं की गई है, पीठ कहा कि सूची से हटाए गए मतदाताओं के बारे में जो भी जानकारी उसे मिले उसे अगली सुनवाई नौ अक्टूबर तक उसके समक्ष वह पेश करे।शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि सभी के पास मसौदा मतदाता सूची है और अंतिम सूची भी 30 सितंबर को प्रकाशित कर दी गई है, इसलिए तुलनात्मक विश्लेषण के माध्यम से आवश्यक आंकड़े प्रस्तुत किए जा सकते हैं।पीठ ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा कि अदालती आदेशों के परिणामस्वरूप चुनाव प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और पहुँच बढ़ी है। पीठ ने कहा कि चूँकि अंतिम सूची में मतदाताओं की संख्या से ऐसा प्रतीत होता है कि मसौदा सूची में मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है, इसलिए किसी भी भ्रम से बचने के लिए जोड़े गए नामों की पहचान का खुलासा किया जाना चाहिए।शीर्ष अदालत ने आयोग के अधिवक्ता से कहा कहा, "आप हमारी इस बात से सहमत होंगे कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और पहुँच (लोगों की) में सुधार हुआ है। आँकड़ों से ऐसा प्रतीत होता है कि आपके द्वारा प्रकाशित मसौदा सूची में 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए थे। हमने पहले कहा था कि जो भी मृत या स्थानांतरित हो गया है, वह ठीक है। अगर आप किसी को हटा रहे हैं, तो कृपया नियम 21 और मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करें।"पीठ ने यह कहते हुए कि उसने पहले भी हटाए गए नामों का आंकड़ा सार्वजनिक करने को कहा था, कहा, "अब अंतिम सूची संख्याओं में वृद्धि प्रतीत होती है और सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भ्रम की स्थिति है - जोड़े गए नामों की पहचान क्या है, क्या वे हटाए गए नाम हैं या नए नाम हैं।" वरिष्ठ अधिवक्ता द्विवेदी ने कहा कि ज़्यादातर नाम नए मतदाताओं के हैं। कुछ पुराने मतदाता भी हैं, जिनके नाम मसौदा सूची प्रकाशित होने के बाद जोड़े गए थे।उन्होंने ज़ोर दिया कि ज़मीनी स्तर पर कोई शिकायत नहीं है, बल्कि दिल्ली के कुछ लोग ही आंकड़ों का विश्लेषण करवाना चाहते थे।चुनाव आयोग ने 30 सितंबर को बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करते हुए कहा कि मतदाता सूची के एसआईआर से पहले कुल मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ थी, जो अंतिम मतदाता सूची में लगभग 47 लाख घटकर 7.42 करोड़ रह गई है। मतदाताओं की अंतिम संख्या हालांकि एक अगस्त को जारी मसौदा सूची में दर्ज 7.24 करोड़ मतदाताओं से 17.87 लाख अधिक है। एक अगस्त को जारी मसौदा सूची में मृत्यु, प्रवास और मतदाताओं के दोहराव सहित विभिन्न कारणों से 65 लाख मतदाताओं के नाम मूल सूची से हटा दिए गए थे। मसौदा सूची में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए हैं, जबकि 3.66 लाख नाम हटाए गए हैं। इस तरह कुल मतदाताओं की संख्या में 17.87 लाख की वृद्धि हुई है।गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और मतगणना की तारीखें छह अक्टूबर को घोषित कर दिया था। बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 निर्वाचन क्षेत्रों में छह नवंबर 2025 को चुनाव होंगे, जबकि बाकी बचे 122 निर्वाचन क्षेत्रों में 11 नवंबर को मतदान होंगे। मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी।

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