फ़्रैंकफ़र्ट में 77वां अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला शुरू 

अतिथि देश फ़िलिपींस 

फ़्रैंकफ़र्ट में 77वां अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला शुरू 

100 से अधिक देशों के प्रकाशक और मीडिया उद्यमी शामिल

निज संवाददाता : जर्मनी के फ़्रैंकफ़र्ट में विश्व के सबसे बड़े और प्राचीनतम पुस्तक मेले—77वें फ़्रैंकफ़र्ट अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले की शुरुआत हो चुकी है। स्थानीय समयानुसार बीते मंगलवार शाम को जर्मनी के संस्कृति और जनमाध्यम प्रतिनिधि वोल्फ्राम वाइमर ने इस मेले का औपचारिक उद्घाटन किया। आम दर्शकों के लिए यह मेला 15 अक्तूबर से खुला है और इसका आयोजन 19 अक्तूबर तक चलेगा।
इस वर्ष का अतिथि देश फ़िलिपींस है, जो अपने साहित्य, संस्कृति और परंपरा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत कर रहा है। उद्घाटन समारोह में वोल्फ्राम वाइमर ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) साहित्य और पुस्तकों की दुनिया में गहरी संकट की स्थिति पैदा कर रही है। उन्होंने कहा-यह डेटा-माइनिंग तकनीक अनगिनत लोगों की सृजनात्मक ऊर्जा को निचोड़ रही है। मैं इसे मानसिक वैम्पायरवाद कहता हूं। सिलिकॉन वैली से लेकर शेनझेन तक जो डेटा सेंटरों में हो रहा है, वह एक प्रकार की लूट है।
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका और चीन की तकनीकी दिग्गज कंपनियां दुनिया भर की संस्कृतियों को अपने एल्गोरिदम का कच्चा माल बना रही हैं  जो एक तरह का डिजिटल उपनिवेशवाद है। उन्होंने यह भी कहा कि इन कंपनियों को कर और कानून के दायरे में लाना आवश्यक है।
पुस्तक मेले के निदेशक युर्गेन बोस ने कहा-एआई को लेकर जो वैश्विक बहस आज छिड़ी है, उसकी शुरुआत फ़्रैंकफ़र्ट पुस्तक मेले से ही हुई थी। यहीं से प्रकाशन जगत अपने भविष्य की दिशा तय करता है।  उन्होंने यह भी बताया कि जर्मन और अंतरराष्ट्रीय पुस्तक उद्योग इस समय कठिन आर्थिक दौर से गुजर रहा है।
इस वर्ष के उद्घाटन समारोह में साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हंगरी के लेखक लास्ज़लो क्रास्नाहोरकाई को विशेष अतिथि के रूप में शामिल होना था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वे उपस्थित नहीं हो सके। उनकी अनुपस्थिति में जर्मन लेखिका नोरा हद्दादा ने भाषण दिया। उल्लेखनीय है कि क्रास्नाहोरकाई ने 1987–88 में बर्लिन आर्टिस्ट-इन-रेज़िडेंस कार्यक्रम के तहत पश्चिम बर्लिन में शोधकार्य किया था।
गौरतलब है कि 1949 में आरंभ हुआ यह फ़्रैंकफ़र्ट पुस्तक मेला आज साहित्य, प्रकाशन, फ़िल्म, गेम्स और प्रौद्योगिकी क्षेत्र का एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक मंच बन चुका है। यहां प्रकाशक, साहित्यिक एजेंट, लेखक और मीडिया उद्यमी नए अनुबंध करते हैं और भविष्य की लोकप्रिय पुस्तकों व विचारों की खोज करते हैं।
इस वर्ष 100 से अधिक देशों के प्रकाशक और मीडिया उद्यमी इसमें भाग ले रहे हैं। पहली बार मेले के अंतिम तीन दिनों में पुस्तकों की बिक्री की अनुमति दी गई है। साथ ही पुस्तक और मीडिया उद्योग से जुड़े अहम विषयों पर चर्चा के लिए विशेष मंच भी स्थापित किए गए हैं।
फ़्रैंकफ़र्ट पुस्तक मेला आज भी विश्व साहित्य का संगम स्थल है — जहां पुस्तकें केवल व्यापार का माध्यम नहीं, बल्कि विचार, संस्कृति और मानवीय मूल्यों का सेतु बनती हैं।

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