शंकर घोष और खगेन मुर्मू पर हमले की घटना में एनआईए जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में मामला दायर

शंकर घोष और खगेन मुर्मू पर हमले की घटना में एनआईए जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में मामला दायर

निज संवाददाता : शंकर घोष और खगेन मुर्मू पर हमले की घटना की  एनआईए जांच की मांग को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया है। वकील अनिंद्य सुंदर दास ने गुरुवार को कोर्ट में एक याचिका दायर कर मामला दर्ज करने की मांग की। हाईकोर्ट ने तुरंत मामला दर्ज करने की अनुमति दे दी। वकील का दावा है कि यह पता लगाने के लिए पूरी जांच की जरूरत है कि यह घटना क्यों हुई। उन्होंने केंद्रीय खुफिया एजेंसी एनआईए से जांच करने का अनुरोध किया है।
दूसरी ओर, सीबीआई जांच की मांग को लेकर आज हाईकोर्ट में एक और मामला दायर किया गया है। एफआईआर दर्ज करने वाले ने खुद यह मामला दायर किया है। जहां उन्होंने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं और केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच का अनुरोध किया है। नागराकाटा में भाजपा नेताओं पर हमले को लेकर हाईकोर्ट में दो मामले दायर किए गए हैं। पता चला है कि इस मामले की सुनवाई बहुत जल्द हो सकती है। अब देखते हैं कि मामला किस ओर जाता है।
नागाराकाटा में भारी बारिश ने भयावह स्थिति पैदा कर दी है। कई जगहों पर बाढ़ आ गई है। इलाके का दौरा करते समय, सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक शंकर घोष और मालदा उत्तर के सांसद खगेन मुर्मू को विरोध का सामना करना पड़ा। उन पर ईंटों से हमला किया गया। उनकी कारों में तोड़फोड़ की गई। दोनों भाजपा नेता ईंटों से घायल हो गए। इतना ही नहीं, भाजपा सांसद लहूलुहान हालत में थे। बताया जा रहा है कि ईंट लगने से उनकी आंख के नीचे की हड्डी टूट गई। खगेन मुर्मू का फिलहाल सिलीगुड़ी के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है, जबकि शंकर घोष को छुट्टी दे दी गई है।
घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रभावित खगेन मुर्मू से मिलने गईं। हालांकि, बुधवार को कोलकाता लौटने के बाद, मुख्यमंत्री ने खगेन मुर्मू पर हमले के पीछे के कारण पर भी संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा-जिस इलाके में यह घटना हुई वह भाजपा का इलाका है। सभी सांसद और विधायक भाजपा के हैं। परोपकार घर से शुरू होता है। क्या यह भाजपा का आंतरिक कलह नहीं है?
मुख्यमंत्री के अनुसार-बाढ़ या दंगों जैसी परिस्थितियों में ऐसा गुस्सा पैदा हो सकता है। क्योंकि, लोग अपने घर खो देते हैं और अच्छे मूड में नहीं होते। हालांकि, जांच चल रही है। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस प्रशासन को सूचित किए बिना इस तरह 30-40 गाड़ियों के साथ प्रभावित क्षेत्र में घुसना कितना उचित है?  पहले लोगों को बचाना होगा। उस काफिले का क्या होगा जो लोगों का दिखावा करता है?  इस घटना पर ज़ोरदार राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। पुलिस चार लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। बाकी की तलाश जारी है। इस बीच, मामला हाईकोर्ट में दायर कर दिया गया है।

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