अदालत ने मासूम बच्ची के दुष्कर्म व हत्या के दोषी को फांसी की सजा सुनाई।
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की विशेष पोक्सो (POCSO) अदालत ने अनुसूचित जाति की 8 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के दोषी एक व्यक्ति को मंगलवार को फांसी की सज़ा सुनाई।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की विशेष पोक्सो (POCSO) अदालत ने अनुसूचित जाति की 8 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के दोषी एक व्यक्ति को मंगलवार को फांसी की सज़ा सुनाई। बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। अदालत ने इस मामले को ‘अत्यंत दुर्लभतम’ (Rarest of Rare) मानते हुए दोषी को फांसी की सजा दी।
घटना और जांच
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पुलिस ने घटना की अगली सुबह बच्ची की तलाश शुरू की तो गांव के पास जंगल में पुलिया के नज़दीक उसका शव मिला। शव की हालत बेहद खराब थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साफ हुआ कि दुष्कर्म के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या की गई थी। बच्ची को इतने वीभत्स तरीके से मारा गया था कि उसकी गले की हड्डी टूट गई थी और आंखें बाहर निकल आई थीं।
फिंगरप्रिंट्स से खुला राज़
पुलिस ने फॉरेंसिक साक्ष्य एकत्र किए और मुकदमे में दुष्कर्म, हत्या समेत अन्य धाराओं को जोड़ा। विवेचना में पता चला कि उन दिनों छाता कोतवाली क्षेत्र के गाँव तरौली-सुमाली निवासी महेश उर्फ मसुआ को अक्सर आसपास देखा जाता था। मौके से मिले फॉरेंसिक साक्ष्यों और फिंगरप्रिंट्स का मिलान महेश से करने पर वह पूरी तरह मेल खा गया। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
लकड़ियां बीनने गई थी बच्ची
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 नवंबर 2020 को जैंत थाना क्षेत्र के एक गाँव में रहने वाले अनुसूचित जाति परिवार की 8 वर्षीय बच्ची अपनी माँ के साथ लकड़ियां बीनने जंगल गई थी, लेकिन शाम तक वापस नहीं लौटी। उसकी माँ ने बहुत खोजबीन की लेकिन पता नहीं चला। बाद में कुछ चश्मदीदों के बयान के आधार पर पुलिस ने महेश उर्फ मसुआ के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 363 (बहला-फुसला कर ले जाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया और उसकी तलाश शुरू की।
अत्यंत दुर्लभ मामला
सजा सुनाते समय न्यायाधीश ने कहा कि अभियुक्त ने बच्ची के साथ जो पैशाचिक (क्रूर) कृत्य किया है, ऐसा तो जंगली जानवर भी किसी दूसरी प्रजाति के बच्चों के साथ नहीं करते। इसलिए यह मामला "अत्यंत दुर्लभ" श्रेणी में आता है।
फांसी और जुर्माना
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पोक्सो कोर्ट-द्वितीय) ब्रजेश कुमार (द्वितीय) ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद महेश को दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। इसके साथ ही उस पर 3 लाख 20 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।