एक 8 साल पुराना और दूसरा 9 साल पुराना…
GST सुधारों के बीच कांग्रेस आखिर क्यों बार-बार राहुल गांधी के पुराने ट्वीट्स शेयर कर रही है?
भारत सरकार ने हाल ही में GST से जुड़े कई बड़े बदलाव किए हैं, जिन पर अब राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अपने पुराने ट्वीट्स सोशल मीडिया पर साझा किए और दावा किया कि बीजेपी को आठ साल बाद अपनी गलती का अहसास हुआ है, जबकि कांग्रेस शुरुआत से ही इस व्यवस्था का विरोध करती रही है।
राहुल गांधी ने अपने 8 से 9 साल पुराने ट्वीट्स को फिर से शेयर करते हुए याद दिलाया कि कांग्रेस हमेशा से 18% की सीमा के साथ एक समान GST दर की मांग करती रही है। उन्होंने अपने 2017 के ट्वीट को रिपोस्ट किया, जिसमें लिखा था कि भारत को “गब्बर सिंह टैक्स” नहीं बल्कि एक सरल GST चाहिए। कांग्रेस और जनता के संघर्ष से ही कई वस्तुओं पर 28% टैक्स खत्म हुआ था और पार्टी 18% की सीमा तय करने के लिए लड़ाई जारी रखेगी। इसी तरह 2016 के ट्वीट में उन्होंने कहा था कि जीएसटी दर पर 18% की सीमा सभी वर्गों के हित में है।
सरकार की ओर से किए गए नए बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे। अब 12% और 28% की दरों को खत्म कर दिया गया है और केवल दो ही स्लैब रहेंगे—5% और 18%। सरकार का मानना है कि इससे आम जनता को राहत मिलेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि आठ साल बाद अंततः सरकार को अपनी गलती का एहसास हुआ है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इन आठ सालों में बीजेपी सरकार ने मध्यम वर्ग और गरीबों पर बोझ डाला। उस समय जब कांग्रेस ने चेतावनी दी थी कि इतनी ऊंची दरें लागू नहीं होनी चाहिए थीं, तब प्रधानमंत्री और मंत्रियों ने ध्यान नहीं दिया। चिदंबरम ने कहा कि दरअसल, कांग्रेस की मांग वही थी जो अब जाकर लागू की गई है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस लंबे समय से GST 2.0 की वकालत कर रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जीएसटी परिषद अब महज औपचारिकता बन गई है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी पहले से दरों में कटौती का ऐलान कर चुके थे और परिषद की बैठक में उसे केवल मंजूरी दिलवाई गई। उन्होंने कहा कि 2017 में भी कांग्रेस ने पीएम को चेताया था कि उनका फैसला गलत साबित होगा। उस समय इसे "गुड एंड सिंपल टैक्स" कहा गया था, लेकिन वास्तव में यह “ग्रोथ सप्रेसिंग टैक्स” बनकर सामने आया।