गूगल विशाखापट्टनम में बनाएगा एशिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर
करेगा50 हजार करोड़ रुपए का निवेश
गूगल आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एशिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर बनाएगा| इसकी क्षमता 1 गीगावॉट होगी| फिलहाल देशभर में कुल 1.4 गीगावॉट क्षमता के डेटा सेंटर ऑपरेशनल हैं|
विशाखापट्टनम : गूगल आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एशिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर बनाएगा| इसकी क्षमता 1 गीगावॉट होगी| फिलहाल देशभर में कुल 1.4 गीगावॉट क्षमता के डेटा सेंटर ऑपरेशनल हैं| खबर के मुताबिक, गूगल इसके लिए 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगा| इसमें से 16 हजार करोड़ रुपए से रिन्युएबल एनर्जी से जुड़ी फेसिलिटी बनेगी| इसी से डेटा सेंटर को बिजली मिलेगी|अप्रैल में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट ने कहा था कि वह इस साल दुनियाभर में डेटा सेंटर की क्षमता बढ़ाने के लिए 6.25 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी|आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने बताया कि विशाखापट्टनम में तीन केबल लैंडिंग स्टेशन भी बनेंगे| इससे हाई-स्पीड डेटा ट्रांसफर हो सकेगा| राज्य में 1.6 गीगावॉट क्षमता के डेटा सेंटर निवेश को अंतिम रूप दिया जा चुका है| अगले 5 साल में 6 गीगावॉट क्षमता के डेटा सेंटर तैयार करने का लक्ष्य है|
डेटा सेंटर नेटवर्क से जुड़े हुए कंप्यूटर सर्वर का एक बड़ा समूह है| बड़ी मात्रा में डेटा स्टोरेज, प्रोसेसिंग के लिए कंपनियों द्वारा इसका उपयोग किया जाता है| सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, बैंकिंग, खुदरा, स्वास्थ्य सेवा, टूरिज्म और अन्य ट्रांजैक्शन में बहुत अधिक डेटा मिलता है, जिसके स्टोरेज के लिए डेटा सेंटर की जरूरत होती है| इन सुविधाओं में डेटा स्टोरेज, सूचनाओं की प्रोसेसिंग और दूसरे स्थान पर उसे पहुंचाना और कंपनी के एप्लिकेशन से जुड़े काम काज शामिल हैं| इसे किसी सर्वर की तरह मान सकते हैं जहां से किसी कंपनी का पूरा ऑपरेट होता है| डिजिटल युग में सोशल नेट वर्किंग कंपनियां अपने सारे यूजर का डेटा, सारी इन्फॉर्मेशन अपने बनाए डेटा सेंटर में ही रखते हैं| इन डेटा सेंटर पर हजारों की संख्या में ढेरों सर्वर होते हैं| बड़ी कंपनीज जैसे गूगल, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, अमेजन, फेसबुक के खुद के डेटा सेंटर हैं| एक बड़े लेवल पर डेटा एकत्रित करने के लिए सेंटर में डेटा को 3 लेयर (मैनेजमेंट लेयर, वर्चुअल लेयर और फिजिकल लेयर) से होकर गुजारा जाता है|
मैनेजमेंट लेयर सबसे ज्यादा फोकस डेटा को नियंत्रित करने और उसकी निगरानी करना होता है| जो भी यूजर सर्च करता है| सारा डाटा सबसे पहले यह लेयर संभालती है| वर्चुअल लेयर में यूजर्स के पूछे गए प्रश्न को एक्सेस किया जाता है| साथ ही (एक तरह की स्टैंडर्ड डेटा लैंग्वेज) का प्रयोग करके जानकारी यूजर को दिखाई जाती है| फिजिकल लेयर सीधा हार्डवेयर से डील करती है या हम कह सकते हैं कि असल चीजों से फिजिकल लेयर डील करती है| इंटरनेट डेटा लीक होना और साइबर अटैक बड़ी चुनौती आमतौर पर इन डेटा सेंटर पर यूजर्स डेटा का बैकअप ऑटोमैटिकली होता है| इन पर फिजिकल अटैक होने की संभावना साइबर अटैक के मुकाबले कम होती है|