बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े पीएमएलए
मामले में ईडी के समक्ष पेश हुए अनिल अंबानी
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी अपने समूह की कंपनियों द्वारा कथित तौर पर बड़े पैमाने पर बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुए|
नयी दिल्ली : आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी अपने समूह की कंपनियों द्वारा कथित तौर पर बड़े पैमाने पर बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुए| 66 वर्षीय अंबानी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए सुबह करीब 11 बजे मध्य दिल्ली स्थित केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय पहुँचे| ईडी द्वारा 24 जुलाई को मुंबई में उनके व्यावसायिक समूह के वरिष्ठ अधिकारियों सहित 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के 35 परिसरों की तलाशी लेने के बाद उन्हें यह समन भेजा गया है|
सूत्रों ने बताया कि ईडी की पूछताछ का नेतृत्व एक सहायक निदेशक स्तर के अधिकारी करेंगे, जिनकी निगरानी उप निदेशक और संयुक्त निदेशक करेंगे| यह समन पिछले महीने ईडी द्वारा की गई एक बड़ी कार्रवाई के बाद आया है, जिसके दौरान केंद्रीय एजेंसी ने लगभग 50 कंपनियों और रिलायंस समूह के शीर्ष अधिकारियों सहित 25 लोगों से जुड़े 35 परिसरों की तलाशी ली थी| तीन दिवसीय यह अभियान 24 जुलाई को शुरू हुआ और संदिग्ध वित्तीय अनियमितताओं और बड़े पैमाने पर बैंक ऋणों के दुरुपयोग पर केंद्रित था| अधिकारियों के अनुसार, जाँच अनिल अंबानी के व्यापारिक साम्राज्य की कई कंपनियों, खासकर रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (आर इन्फ्रा) पर केंद्रित है, जिन पर 17,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के ऋणों का गबन करने का आरोप है|
सेबी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, ईडी ने आरोप लगाया है कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने अंतर-कॉर्पोरेट जमा (आईसीडी) की आड़ में रिलायंस समूह की अन्य संस्थाओं को धनराशि हस्तांतरित की| ये लेन-देन सीएलई नामक एक कंपनी के माध्यम से किए गए थे, जिसके बारे में जाँचकर्ताओं का दावा है कि आर इन्फ्रा ने इसे ‘संबंधित पक्ष’ के रूप में प्रकट नहीं किया था - कथित तौर पर शेयरधारकों और लेखा परीक्षा समितियों से अनिवार्य अनुमोदन को दरकिनार करने के प्रयास में| कथित ऋण धोखाधड़ी की अपनी जाँच के हिस्से के रूप में, प्रवर्तन निदेशालय ने 39 बैंकों को पत्र लिखकर उनकी उचित परिश्रम संबंधी चूकों पर स्पष्टीकरण माँगा है| एजेंसी ने सवाल उठाया है कि जब उधार लेने वाली संस्थाओं ने पुनर्भुगतान में चूक शुरू कर दी, तो इन बैंकों ने ऋणों को संदिग्ध क्यों नहीं बताया या अधिकारियों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी|