गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ने कोलकाता के दो पारंपरिक घाटों के सौंदर्यीकरण की पहल की
बागबाजार माएर घाट और गार्डन रीच स्थित सूरीनाम घाट का होगा सौंदर्यीकरण
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) कोलकाता की प्राचीन विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए आगे आया है।
निज संवाददाता : गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) कोलकाता की प्राचीन विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए आगे आया है। उन्होंने बागबाजार स्थित माएर घाट और गार्डन रीच स्थित सूरीनाम घाट के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी ली है। यह उनकी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल का एक हिस्सा है।
बीते 6 अगस्त को परियोजना योजना पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। जीआरएसई के महाप्रबंधक राजीव श्रीवास्तव और श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ट्रस्ट (एसएमपीके) के मुख्य अभियंता शांतनु मित्रा ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। जीआरएसई के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कमोडोर पी आर हरि (सेवानिवृत्त) और एसएमपीके के अध्यक्ष रथेंद्र रमन भी उपस्थित थे। दोनों संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
उत्तर कोलकाता के बागबाजार स्थित माएर घाट ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह घाट श्री श्री शारदा माता की स्मृति से जुड़ा है। जब वह बागबाजार स्थित अपने घर में रहती थीं, तब वह इसी घाट का उपयोग करती थीं। जीआरएसई की यह नई पहल इस स्थान का रखरखाव करेगी। ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में जान सकें।
सूरीनाम घाट का भी अपना इतिहास है। 26 फरवरी, 1873 को 410 गिरमिटिया मजदूर और उनके परिवार यहां से 'लल्ला' नामक नौकायन जहाज पर सवार होकर सूरीनाम के डच उपनिवेश के लिए रवाना हुए थे। यह प्रवासी भारतीयों की सूरीनाम यात्रा का पहला चरण था। 1916 तक, लगभग 34,304 भारतीय 63 और जहाजों में सवार होकर सूरीनाम पहुंचे। आज, सूरीनाम की कुल जनसंख्या के 35 फीसद से अधिक लोग भारतीय मूल के हैं। इस घाट पर स्थित 'माई बाप स्मारक' मूर्ति भारतीयों की अदम्य भावना का प्रतीक है।
माएर घाट और सूरीनाम घाट का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण न केवल इन दो विरासत स्थलों को संरक्षित करेगा, बल्कि भारत के इतिहास के दो महत्वपूर्ण अध्यायों को एक साथ भी लाएगा। इसके लिए गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड का यह प्रयास सराहनीय है।