सीबीआई जांच के खिलाफ शेख शाहजहां की याचिका स्वीकार नहीं

हाईकोर्ट ने मामले में नहीं किया दखल

सीबीआई जांच के खिलाफ शेख शाहजहां की याचिका स्वीकार नहीं

कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि संदेशखली निवासी पूर्व तृणमूल नेता शेख शाहजहां की सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।

निज संवाददाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि संदेशखली निवासी पूर्व तृणमूल नेता शेख शाहजहां की सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती। सोमवार को न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति प्रोसेनजीत विश्वास की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के अनुसार, आरोपी की यह याचिका स्वीकार करने योग्य नहीं है। इसलिए एकल पीठ के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है। न्यायमूर्ति जॉय सेनगुप्ता ने संदेशखली में हुई दो हत्याओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। शाहजहां उस आदेश को चुनौती देने खंडपीठ गए थे। अदालत ने सोमवार को उनकी याचिका पर फैसला सुनाया। 
अदालत के एक सूत्र के मुताबिक,  2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से संदेशखली के भंगीपाड़ा में राजनीतिक अशांति चल रही थी। उसी साल 8 जून को वहां एक ही परिवार के दो भाजपा कार्यकर्ताओं पर हत्या का आरोप लगा था। अब तक परिवार का एक सदस्य लापता है। मृतकों के परिवारों की ओर से नजत पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत दर्ज की गई थी। इसमें संदेशखाली के 'दोरदंड प्रताप'  तत्कालीन तृणमूल नेता शाहजहां का नाम शामिल था। लेकिन जब सीआईडी ने मामले को अपने हाथ में लिया और अदालत में आरोपपत्र पेश किया गया, तो पता चला कि शाहजहां का नाम उसमें शामिल नहीं था। घटना के पांच साल बाद,  मृतकों में से एक की पत्नी ने सीबीआई के आरोपपत्र को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में मामला दायर किया। अदालत ने उस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया।
शाहजहां ने इस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय की खंडपीठ में मामला दायर किया। पिछले सोमवार को मामले की सुनवाई हुई। हालांकि, न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक की खंडपीठ ने फैसले पर रोक लगा दी। सोमवार को फैसला सुनाया गया। शाहजहां की ओर से वकीलों ने सवाल किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश होने के बावजूद मामले के याचिकाकर्ताओं ने उन्हें मुख्य मामले में शामिल क्यों नहीं किया?  इससे पहले न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने शाहजहां के वकील की दलीलों के जवाब में कहा था-"आपका बयान अदालत के सवालों का जवाब नहीं देता। जहां एकल पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि आपके मुवक्किल की संलिप्तता अनावश्यक है, ऐसे में आपको यह आवेदन करने का क्या अधिकार है?"

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