मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश की सभी लाड़ली बहनों को दिया रक्षाबंधन का शगुन
1.26 करोड़ बहनों के खातों में करेंगे 1859 करोड़ का अंतरण
प्रत्येक लाड़ली बहना के खाते में आएं 1500 रूपये , राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ में हुआ राज्यस्तरीय कार्यक्रम
भोपाल : पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमेरिकी टैरिफ का जिक्र किए बिना कहा कि हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है| भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा| पीएम मोदी ने गुरुवार को दिल्ली में एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा- मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं| पीएम मोदी का यह बयान अमेरिका के भारत पर 50% टैरिफ के ऐलान के एक दिन बाद आया| दरअसल अमेरिका भारत के एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर में अपनी शर्तों के साथ एंट्री चाहता है| कई दौरों की मीटिंग के बाद भारत इस पर तैयार नहीं है|
भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामानों पर आज, यानी 7 अगस्त से 25% टैरिफ लगेगा| वहीं 25% एक्स्ट्रा टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा| इससे भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे| उनकी मांग कम हो सकती है| वहां के इंपोर्टर्स अन्य देशों से सामान मंगा सकते हैं| अमेरिका चाहता है कि उसकी डेयरी प्रोडक्ट्स (जैसे दूध, पनीर, घी आदि) को भारत में आयात की अनुमति मिले| अमेरिकी कंपनियां दावा करती हैं कि उनका दूध स्वच्छ और गुणवत्ता वाला है और भारतीय बाजार में सस्ता भी पड़ सकता है| भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस सेक्टर में करोड़ों छोटे किसान लगे हुए हैं| भारत सरकार को डर है कि अगर अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आएंगे, तो वे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं|
भारत में ज्यादातर लोग शुद्ध शाकाहारी दूध उत्पाद चाहते हैं, जबकि अमेरिका में कुछ डेयरी उत्पादों में जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम (जैसे रैनेट) का इस्तेमाल होता है| भारत की शर्त है कि ये शाकाहारी हो| इसके साथ ही अमेरिका चाहता है कि गेहूं, चावल, सोयाबीन, मक्का और फलों जैसे सेब, अंगूर आदि को भारत के बाजार में कम टैक्स पर बेचा जा सके| वह चाहता है कि भारत अपनी इम्पोर्ट ड्यूटी को कम करे| इसके अलावा, अमेरिका जैव-प्रौद्योगिकी (जीएमओ) फसलों को भी भारत में बेचने की कोशिश करता रहा है, लेकिन भारत की सरकार और किसान संगठन इसका कड़ा विरोध करते हैं|