रोजगार की संभावनाओं को पहचान कर विश्वविद्यालय करें पाठ्यक्रम तैयार
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाओं को पहचान कर विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम तैयार करें| उन्होंने प्रदेश में देश-विदेश से निवेश प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल की सराहना की है|
भोपाल ः राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाओं को पहचान कर विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम तैयार करें| उन्होंने प्रदेश में देश-विदेश से निवेश प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल की सराहना की है| उन्होंने कहा कि निवेश परियोजना क्रियान्वयन के साथ ही उद्योग में रोजगार के लिए उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध कराने के लिए कोर्स प्रारम्भ करें, जिससे परियोजना शुरू होने के साथ ही आवश्यकता अनुसार स्थानीय स्तर के युवा उपलब्ध हो सकें| मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज करेंसी का जमाना है, लेकिन स्किल (कौशल) ही करेंसी है, भारत इसे अच्छी तरह समझता है| इसीलिए हम नवाचार करते हुए कौशल विकास की ओर कदम बढ़ा रहे हैं| मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान और तेजी से बढ़ता राज्य है| इसीलिए हम खेती की पढ़ाई को सामान्य महाविद्यालयों तक लेकर गए हैं| अगर कोई युवा खेती में करियर बनाना चाहे तो उसे आधुनिक तकनीक की जानकारी होनी चाहिए| विश्वविद्यालयों के दायरे विस्तृत होने चाहिए| सभी कोर्स यहां से संचालित होने चाहिए|
राज्यपाल श्री पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उक्त विचार उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विकसित मध्यप्रदेश 2047 ‘रोजगार आधारित शिक्षा-रूझान एवं नए अवसर’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही है| कार्यशाला का आयोजन बुधवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में किया गया| राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय रोजगार आधारित शिक्षा-रूझान एवं नए अवसर कार्यशाला समय की आवश्यकता है| भविष्य की तैयारी का सशक्त मंच है| रोजगार केन्द्रित शिक्षा और विकसित भारत के निर्माण में प्रदेश के योगदान को बढ़ाने की प्रभावी पहल है| राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि शिक्षा समाज की रीढ़ है| यह समय के साथ तालमेल बैठाने, नवाचारों को अपनाने और नवीन अवसरों का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को सक्षम बनाती है| इसलिए हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों को रोजगार के अवसरों तक सुलभ पहुंच देने के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनाए|
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शिक्षा से मनुष्य का समग्र विकास होता है| यह आयोजन को बदलते दौर में रोजगार आधारित शिक्षा और अवसरों का विकास करने के क्रम किया जा रहा है| राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सबसे पहले 1968 और उसके बाद 1988 में मंथन हुआ| अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर तीसरी बार मंथन हो रहा है| लेकिन आजादी के बाद 2020 से पहले कभी भी लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति से बाहर आकर विचार नहीं किया गया|