'जब तक मैं ज़िंदा हूं, किसी का भी वोटिंग अधिकार नहीं छीनने दूंगी'

ममता ने वाम-भाजपा-आयोग पर एक साथ साधा निशाना

'जब तक मैं ज़िंदा हूं, किसी का भी वोटिंग अधिकार नहीं छीनने दूंगी'

तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी तृणमूल छात्र परिषद के स्थापना दिवस समारोह के मंच से एक बार फिर एसआईआर मुद्दे पर मुखर रहीं।

निज संवाददाता : तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी तृणमूल छात्र परिषद के स्थापना दिवस समारोह के मंच से एक बार फिर एसआईआर मुद्दे पर मुखर रहीं। उन्होंने चेतावनी दी-'जब तक मैं ज़िंदा हूं, किसी का भी वोटिंग अधिकार नहीं छीनने दूंगी।' उन्होंने भाजपा और वामपंथियों की आलोचना की। उन्होंने वामपंथियों के राजनीतिक अधिकारों पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि केरल में नेताजी के बारे में गलत जानकारी फैलाई जा रही है। उन्होंने एसआईआर, बंगाल में कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न और भाई-भतीजावाद के मुद्दे पर भाजपा की आलोचना की। उन्होंने चुनाव आयोग की भी आलोचना की। उन्होंने कहा-"मैं सभी एजेंसियों का सम्मान करती हूं। लेकिन जब बड़े लोग लॉलीपॉप लेते हैं तो मुझे यह स्वीकार नहीं होता।" बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। 
छात्र संगठन के स्थापना दिवस पर ममता ने इस सुर को और तीखा कर दिया। अटकलें लगाई जा रही हैं कि बिहार में एसआईआर के बाद, बंगाल में मतदाता सूची का विशेष रूप से गहन पुनरीक्षण होगा। तृणमूल नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार एसआईआर  के नाम पर एनआरसी करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मंच से कहा-"एनआरसी  मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश है। जब तक मैं ज़िंदा हूं, मैं उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं छीनने दूंगी।" उन्होंने आगे आरोप लगाया कि भाजपा डीएम और बीडीओ को डरा रही है। वे लॉलीपॉप दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा-"हम बच्चों को लॉलीपॉप देते हैं। हम 18 साल के नए मतदाताओं को लॉलीपॉप नहीं देते। हम लोकतांत्रिक अधिकारों को सबसे पहले रखते हैं। इसलिए बंगाल आपके उत्पीड़न को स्वीकार नहीं करता, स्वीकार नहीं करेगा। इसने बिना लड़े एक इंच भी नहीं छोड़ा है, नहीं छोड़ेगा।" 
इसके बाद ममता ने दूसरे राज्यों में बंगाली कामगारों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा-"आप लोगों के अधिकार छीन लेते हैं। आप सत्ता छोड़ देते हैं। आप गरीबों को बांग्लादेशी कहकर उन पर अत्याचार करते हैं। गरीब मेरे दिल में हैं, मैं उनसे प्यार करती हूं। मैं जाति नहीं मानती।" दूसरी ओर, वामपंथी शासित केरल में यह पढ़ाया जा रहा है कि नेताजी अंग्रेजों के डर से भाग गए थे, उनकी राजनीतिक वैधता पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा-"मैं चुनाव आयोग के प्रमुख का सम्मान करती हूं। लेकिन अगर बड़े-बड़े लॉलीपॉप खाएंगे, तो यह स्वीकार्य नहीं है।"

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