पंजाब मैदानी इलाका होने के बावजूद क्यों डूबा बाढ़ में? जानिए कौन सी नदियां हैं जिम्मेदार

पंजाब मैदानी इलाका होने के बावजूद क्यों डूबा बाढ़ में? जानिए कौन सी नदियां हैं जिम्मेदार

पंजाब को भारत का ‘अन्न का कटोरा’ कहा जाता है, लेकिन हाल के दिनों में यहां आई बाढ़ ने हजारों गांवों और लाखों लोगों को प्रभावित किया है। बाढ़ का मुख्य कारण नदियों का बढ़ा जलस्तर, हिमालयी क्षेत्रों में भारी बारिश, डैमों से छोड़ा गया पानी और अतिक्रमण माना जा रहा है।

पंजाब इन दिनों भीषण बाढ़ संकट से जूझ रहा है। अब तक 1300 से अधिक गांव पानी में डूब चुके हैं, लाखों लोग बेघर हो गए हैं और हजारों एकड़ खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है। सड़कों, घरों और पुलों को भारी नुकसान पहुंचा है। इस आपदा में अब तक 30 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

कौन सी नदियां हैं जिम्मेदार?

पंजाब से होकर पांच प्रमुख नदियां बहती हैं—सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम। ये सभी हिमालय से निकलती हैं और मानसून के दौरान भारी बारिश व बर्फबारी के पिघलने से जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है। मैदानी इलाका होने के कारण इन नदियों का अतिरिक्त पानी पंजाब में बाढ़ का कारण बन जाता है।

सतलुज से सबसे ज्यादा खतरा

सतलुज नदी, जो तिब्बत के मानसरोवर झील से निकलती है, पंजाब के रोपड़, लुधियाना और फिरोजपुर से होकर गुजरती है। भाखड़ा बांध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी के कारण नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो जाती है। इसके अलावा ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम में बढ़ा पानी भी पंजाब के कई हिस्सों में तबाही मचाता है।

भारी बारिश और कैचमेंट एरिया का दबाव

हाल ही में जम्मू-कश्मीर और हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बारिश ने नदियों के कैचमेंट एरिया को भर दिया। कैचमेंट एरिया से बहकर आया पानी नदियों में समा गया, जिससे उनका बहाव तेज हो गया और बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद डाउनस्ट्रीम इलाकों में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई।

अतिक्रमण और निकासी व्यवस्था भी बड़ी वजह

विशेषज्ञों के अनुसार, अतिक्रमण, अनियोजित शहरीकरण और अपर्याप्त जल निकासी ने हालात को और खराब किया। पंजाब के कई शहरों में नालों और सीवर सिस्टम की सफाई समय पर न होने से बारिश का पानी सड़कों और घरों में भर गया। कृषि प्रधान पंजाब में बाढ़ ने फसलें बरबाद कर दीं और आम लोगों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।

सरकार के प्रयास

सरकार बाढ़ नियंत्रण के लिए तटबंधों को मजबूत करने और बांधों से नियंत्रित बहाव की व्यवस्था करने जैसे कदम उठा रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक अतिक्रमण और निकासी की समस्याएं हल नहीं होंगी, तब तक ऐसी स्थिति दोबारा पैदा होती रहेगी।

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