पैसे के लिए शव को नहीं रोका जा सकता

स्वास्थ्य आयोग ने निजी अस्पतालों को दिए सख्त निर्देश

पैसे के लिए शव को नहीं रोका जा सकता

निज संवाददाता :  मरीज की मौत के बाद अगर पैसा बकाया भी हो  तो शव को नहीं रोका जा सकता। राज्य स्वास्थ्य नियामक आयोग ने निजी अस्पतालों को सख्त निर्देश जारी किए हैं।  बीते दिन इस आशय का एक निर्देश जारी किया गया। इसमें कहा गया है-निजी अस्पताल और नर्सिंग होम किसी भी तरह से मरीज के परिवार पर बकाया होने या किसी अन्य कारण से शव को नहीं रोक पाएंगे। अगर मरीज के परिवार पर कोई बकाया है, तो इसकी सूचना आयोग को देनी होगी। आयोग मृतक के परिवार से बकाया राशि वसूलने की जिम्मेदारी लेगा। लेकिन शव को रोककर परिवार को परेशान नहीं किया जा सकता। निर्देश में यह भी कहा गया है-मरीज की मौत के पांच घंटे के भीतर शव परिवार को सौंप दिया जाना चाहिए। अगर इसे इससे ज्यादा समय तक रखा जाता है, तो उचित कारण दर्ज किया जाना चाहिए। कई बार मृतक के परिवार का कोई सदस्य दूसरे राज्य या देश से बाहर रहता है। ऐसे में वे शव को कुछ समय के लिए मुर्दाघर में रखने का अनुरोध करते हैं।  आयोग ने कहा कि केवल उसी स्थिति में शव को अस्पताल में पांच घंटे से अधिक समय तक रखा जा सकता है।' इसके बाद भी अगर कोई निजी अस्पताल या नर्सिंग होम शव रखता है, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। 
गौरतलब है कि पैसे के लिए शव रखने के मामले अक्सर देखने को मिलते हैं। इस संबंध में आयोग को कई शिकायतें भी मिलती हैं। कभी नर्सिंग होम के अधिकारी मरीज के परिवार को ही दोषी ठहराते हैं। कभी कहा जाता है-बीमा कंपनी पैसे देने में देरी कर रही है।  इस बीच, मृतक के परिवारों को जटिलताओं के कारण परेशान किया जा रहा है। हाल ही में ऐसी ही एक शिकायत आयोग को सौंपी गई थी। मुदस्सिर परवेज नाम के एक युवक ने न्यू अलीपुर स्थित एक निजी अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि उसके परिवार के एक सदस्य की 12 अगस्त की रात 12:40 बजे अस्पताल में मौत हो गई। लेकिन समय बीत जाने के बाद भी शव परिवार को नहीं सौंपा गया। बीमा कंपनी द्वारा पैसे देने में देरी करने का बहाना बनाकर शव को 15 घंटे तक रखा गया। इस शिकायत के बाद आयोग हरकत में आया और पूरे मामले की जांच के बाद सोमवार को एक निर्देश जारी किया। 
इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य नियामक आयोग के अध्यक्ष और पूर्व न्यायाधीश असीम कुमार बनर्जी ने कहा-ऐसी घटनाएं अवांछनीय हैं। इन्हें किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हाल ही में हमें न्यू अलीपुर स्थित उस निजी अस्पताल के खिलाफ शिकायत मिली थी। इसके बाद यह निर्देश जारी किया गया।

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