भोपाल पुलिस का 'मछली' कांड में बड़ा गोलमाल?

कानूनगो बोले- न रजिस्टर दिखा, न अफसर मिला

भोपाल पुलिस का 'मछली' कांड में बड़ा गोलमाल?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भोपाल की पुलिस चौकियों का औचक निरीक्षण किया. यहां घोर अव्य वस्थापएं मिली.

भोपाल : बहुचर्चित “मछली कांड” की गूंज एक बार फिर तेज हो गई है. बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने क्लब 90 और उसके आसपास के क्षेत्रों का औचक निरीक्षण किया. उन्होंने आनंद नगर पुलिस चौकी और पिपलानी थाने का दौरा कर पुलिस व्यवस्था की जमीनी हकीकत परखने की कोशिश की. निरीक्षण के बाद उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में हजारों छात्राएं रहती हैं, वहां महिला पुलिसकर्मी की अनुपस्थिति चिंताजनक है. कानूनगो ने चौकी में पीड़ितों की शिकायतों का कोई रजिस्टर न होने पर सवाल उठाया. पुलिसकर्मियों ने दावा किया कि सभी रिकॉर्ड थाने में हैं. जब पिपलानी थाने पहुंचे तो पता चला कि चौकी की दी गई जानकारी पूरी तरह से गलत थी.
प्रियंक कानूनगो ने पुलिस पर आरोप लगाया कि “मछली” परिवार को बचाने के प्रयास अब भी जारी हैं. इससे पहले भी वे सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि भोपाल पुलिस के कुछ अफसर इस गिरोह को संरक्षण दे रहे हैं. निरीक्षण के दौरान एक और गंभीर बात सामने आई- शिकायत दर्ज करवाने आए गरीब और वंचित लोग घंटों से परेशान दिखे. उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. क्लब 90 जिस चौकी के न्यायिक क्षेत्र में आता है, वह न तो वहां कभी गश्त करती है और न ही इस व्यभिचार व ड्रग्स अड्डे पर कोई जांच की गई है. प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पोस्टो कर बताया कि भोपाल पुलिस और उसके थानों में क्याक स्थिति है?
आखिरी पंक्ति के नागरिक के अधिकारों की रक्षा करे
प्रियंक कानूनगो ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औपनिवेशिक कानूनों से आज़ादी दिलाकर नए लोकहितैषी कानून बनाए हैं. अब वक्त है कि पुलिस भी अपने रवैये को बदले और आखिरी पंक्ति के नागरिक के अधिकारों की रक्षा करे. उन्होंने संबंधित पुलिस अधिकारियों को तत्काल नए कानूनों की समझाइश दी और रिपोर्ट आयोग को भेजने की बात कही. फिलहाल आयोग इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसमें पुलिस की कार्यशैली, स्थानीय प्रशासन की भूमिका और गिरोह को मिलने वाले कथित राजनीतिक संरक्षण की जांच शामिल होगी. इस निरीक्षण से भोपाल की पुलिसिंग पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, और आने वाले दिनों में इस केस में नए खुलासों की उम्मीद जताई जा रही है.

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