कंटेंट के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ढाल बनाना ठीक नहीं : सुप्रीम कोर्ट
ऑनलाइन कंटेंट की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है।
निज संवाददाता : ऑनलाइन कंटेंट की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। अदालत ने साफ कहा है कि स्वयं द्वारा तैयार किए गए कंटेंट के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ढाल बनाकर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा-आजकल अनेक सोशल इन्फ्लुएंसर व्यावसायिक उद्देश्यों से कंटेंट तैयार करते हैं। इसलिए यदि कोई कंटेंट व्यावसायिक हित से जुड़ा हो, तो उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत माना नहीं जाएगा। इस संबंध में अदालत का निर्देश एकदम स्पष्ट है।
मामला बेंगलुरु स्थित रणबीर इलाहाबादिया के लेक्चर सेंटर से शुरू हुआ था। आरोप था कि वहां से भ्रामक सामग्री प्रसारित की जा रही थी। इसके बाद अदालत के आदेश पर मामला दर्ज किया गया। इस दिन विशेष रूप से संपत्ति प्रबंधन को लेकर रणबीर और पांच सोशल इन्फ्लुएंसरों के खिलाफ आरोप लगे। बाद में उन्होंने अदालत से माफी मांगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश था कि सिर्फ अदालत से ही नहीं, बल्कि उन्हें अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से भी आम जनता के सामने सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला डिजिटल जगत में जिम्मेदारी निभाने के महत्व को एक बार फिर रेखांकित करता है।