पितृ पक्ष 2025: 13 सितंबर को षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध एक साथ, जानिए पूरा कैलेंडर
वर्ष 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किए जाते हैं। खास बात यह है कि इस बार 13 सितंबर को षष्ठी और सप्तमी दोनों का श्राद्ध एक ही दिन होगा।
सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाने वाला पितृ पक्ष इस बार 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं।
-
7 सितंबर: पूर्णिमा व्रत, नान्दी मातामह श्राद्ध। इसी दिन दोपहर 12:57 बजे से चंद्रग्रहण का सूतक लग जाएगा, इसलिए श्राद्ध कार्य दोपहर से पहले कर लेना शुभ रहेगा।
-
8 सितंबर: प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध और तर्पण।
-
13 सितंबर: इस वर्ष विशेष रूप से षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध एक ही दिन होगा।
-
14 सितंबर: अष्टमी तिथि का श्राद्ध सुबह 8:41 बजे के बाद।
-
15 सितंबर: नवमी श्राद्ध।
-
21 सितंबर: सर्वपितृ अमावस्या, पितृ पक्ष का समापन।
पितृ दोष का महत्व
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे कार्य में रुकावट, आर्थिक हानि, बीमारी और संबंधों में तनाव। माना जाता है कि यदि पितरों का श्राद्ध न किया जाए तो आत्मा को शांति नहीं मिलती और वह भटकती रहती है।
पितृ पक्ष की मान्यता
मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान यमराज आत्माओं को अपने परिवार के पास आने की अनुमति देते हैं ताकि वे तर्पण ग्रहण कर सकें। इस दौरान श्रद्धापूर्वक किए गए श्राद्ध-पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।