लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी भारतीय सिनेमा की अमर आवाज़
किशोर कुमार @ 96
अगस्त की सुबह भारत एक पल के लिए ठहरता है, यह याद करने के लिए कि आज उस बेमिसाल आवाज़, उस बेमिसाल प्रतिभा, और उस अनोखी आत्मा किशोर कुमार का 96वां जन्मदिन होता।
अगस्त की सुबह भारत एक पल के लिए ठहरता है, यह याद करने के लिए कि आज उस बेमिसाल आवाज़, उस बेमिसाल प्रतिभा, और उस अनोखी आत्मा किशोर कुमार का 96वां जन्मदिन होता। 1929 में मध्य प्रदेश के छोटे से कस्बे खंडवा में जन्मे अभास कुमार गांगुली, जिन्हें हम किशोर कुमार के नाम से जानते हैं, भारतीय संगीत और सिनेमा के सबसे चहेते और प्रतिष्ठित कलाकारों में गिने जाते हैं।
1987 में उनके असमय निधन के तीन दशक बाद भी, उनकी आवाज़ आज भी रेडियो, प्लेलिस्ट और दिलों में ज़िंदा है—पीढ़ी दर पीढ़ी।
एक युग की आवाज़
चार दशकों से अधिक के करियर में किशोर कुमार का संगीत में योगदान अतुलनीय रहा है। उनकी अनोखी योडलिंग शैली, गहराई से भरे सुर और बहुपरतीय प्रतिभा ने उन्हें हर शैली में गाने में माहिर बना दिया- दर्द भरी ग़ज़लों से लेकर मस्ती भरे पॉप गीत, रोमांटिक नग़मों से लेकर हास्य गीतों तक।
"रूप तेरा मस्ताना" से लेकर "ज़िंदगी एक सफर है सुहाना" तक—उनके गीत सिर्फ धुनें नहीं, भावनाएं हैं—जो पूरे राष्ट्र की स्मृति में बस चुके हैं।
सिर्फ गायक नहीं, एक बहुआयामी कलाकार
बहुत से लोग उन्हें केवल एक गायक के रूप में जानते हैं, लेकिन किशोर कुमार एक शानदार अभिनेता, संगीतकार, गीतकार, निर्माता और निर्देशक भी थे। उनका अजीबोगरीब आकर्षण और अनिश्चित स्वभाव उन्हें पर्दे के बाहर भी एक किंवदंती बना गया। उन्होंने 80 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और “दूर गगन की छांव में” जैसी कालजयी फिल्मों का निर्देशन किया—जो उनकी कलात्मकता की उत्कृष्ट मिसाल है।
एक स्थायी विरासत
किशोर कुमार ने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के रूप में 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते—जो उस समय एक रिकॉर्ड था। आज भी वह पुरुष गायकों के लिए एक मानदंड बने हुए हैं। आज की पीढ़ी के कई गायक उन्हें अपनी प्रेरणा मानते हैं।
आज देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है—मुंबई और कोलकाता में श्रद्धांजलि कार्यक्रमों से लेकर रेडियो चैनलों पर उनके सदाबहार गीतों की धारा तक। सोशल मीडिया पर प्रशंसक और सितारे उनकी यादों, पसंदीदा गीतों और किस्सों को साझा कर रहे हैं—उस कलाकार की याद में, जिसकी आवाज़ ने ज़िंदगी को खूबसूरत बनाया।
“ज़िंदगी के सफर में गुज़र जाते हैं जो मक़ाम…”
जब भारत किशोर कुमार की 96वीं जयंती मना रहा है, हम सिर्फ एक आवाज़ को नहीं—एक युग, एक सोच और जीवन की एक अनोखी खुशी को याद कर रहे हैं, जिसे उन्होंने जिया और जिया भी दिया।
हर दिल टूटने, हर खुशी, हर बरसाती शाम के लिए किशोर का कोई न कोई गीत ज़रूर है। उनका शरीर भले ही आज हमारे बीच न हो, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी गूंज रही है—अमर, अटूट और हमेशा जवां।